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25 Jun 2023 · 1 min read

सुनो सरस्वती / MUSAFIR BAITHA

हे बुद्धि वारिधि वीणापाणि कही जानेवाली देवी
खल ब्राह्मणों के छल बल के आगे
क्यों तुम्हारे बुद्धि विवेक भी जाते हैं मारे
तुम्हारी वीणा क्यों नहीं झंकृत कर पाती
उन छलबुद्धि दिलों को
क्यों चुक जाती है तुम्हारी मनीषा
छलियों की भेदबुद्धि वेदबुद्धि के आगे

सुनो सरस्वती सुनो
कान खोलकर सुनो तुम
तुम्हारी जड़ मूर्ति जिसने गढ़ी
उसी को तुम्हारी विकलांग विद्या मुबारक
हमने तो सीख लिया है
खुद अपने बूते विद्या गढ़ना
विद्या के बल पर बनना संवरना

ललकार है तुझे
और दुत्कार भी
कि अगर बाकी है सचमुच की
कोई विद्यादायिनी शक्ति तुममें
जो अपना न सके हम
बिना तुम्हारे सामने सीस नवाये तुम्हें अराधे
तो बतलाओ
बतलाओ अभी तुरंत

तुम अपनी भेदबुद्धि भेदक ज्ञान
उन स्वार्थीजनों में ही बांटो फैलाओ
जिन्होंने तुम्हारे कंधें पर बंदूक रखकर
जहरीले कसैले दैवी हरफ असंख्य
गढ़ रखे हैं विरुद्ध हमारे
और खिलाफ जिनके एक शब्द भी
तुम कथित विद्या देवी भी नहीं बोलती

हमारे उर में तो बस अब
अप्प दीपो भव का
अक्षय बुद्धमत बसा है
जिसके आगे तेरी अबूझ विद्याओं की आंच
अत्यल्प पासंग भर है

हे कथित विवेकदायिनी देवी
कुछ शर्म आप करो तो
एक बात करो
मानवता हत-आहत कर सकने की अपनी
सड़ी गली मरी विद्या विवेक का
करो तर्पण पिण्डदान करो

और एक गुजारिश भी है तुमसे कि
विद्या जैसे अमोल धन का
मत शास्रोक्त बंदरबांट करो ।

बसंत पंचमी 2006

Language: Hindi
373 Views
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