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23 Jun 2023 · 1 min read

देह धरे का दण्ड यह,

देह धरे का दण्ड यह,
भुगत रहा दिन-रैन।
देख दुर्दशा देश की,
उर-अन्तर बेचैन।।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

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