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23 Jun 2023 · 1 min read

गीतांश....

गीतांश….
जनक नंदनी सखी शोभा अवध की
धीर ना धरे मन आए सुध उनकी!

रोए महल और, रोए फुलवारी
निक लगे व्यंजन न भाए सोहारी
हाल कही जाए न राम जननिन की
जनक नंदनी सखी शोभा अवध की
धीर ना धरे मन आए सुध उनकी!
@योगिनी काजोल

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