Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jun 2023 · 4 min read

पुतलों का देश

पुतलों का देश

दरअसल कारपोरेट शहरों को देखने का आनंद तभी है जब भौचक होकर उनकी हर चीज़ देखी जाये। जैसा कि भौचक आनंद मांगीलाल जी को हो रहा है। यहाँ ‘माल्स’ (लड़कियाँ भी हैं, मल्टी प्लेक्स हैं, ‘मल्टी स्टोरीड’ भवन हैं और मीटिंग्स हैं, गोया मकानुप्रास का ढेर लगा हुआ है। ऐसे ही मुँह खोले हुए, सिर ऊपर किये हुए धक्के और डाँट खाते हुए एक शो-केस के आगे वे भौचक, चकित और थोड़ा आश्चर्यचकित हो कर खड़े हो गये। उस शो-केस में अनेक पुतले और अर्थियाँ बिकने के लिये रखे हुए थे।

वे हिम्मत करके उस दुकान में घुस गये। उन्हें यह देख कर हिम्मत आई कि उस पुतलों की दुकान का मालिक उनके ही गाँव के लतीफ का मोड़ा जुम्मन बैठा हुआ है। वह पहचान में नहीं आ रहा था। लड़के ने ही कहा- “अस्सालेवालेकुम मंगल दादा। ” मंगलू की जान में जान आ गई। वह चीख कर बोले- “ अरे जुम्मा तू।” “हाँ दादा, मैं ही लतीफ का लड़का जुम्मन हूँ। आप कैसे आये ?” जुम्मन ने पूछा। “अरे तेरे भैया बुद्ध की शादी है तो उसके लिये सूट का कपड़ा खरीदने आया था।” यह कह कर मंगलू ने सोचा कि सही है कि शहर में किस्मत पत्ते के नीचे रहती है और गाँव में चट्टान के नीचे। इतने में इस पार्टी का एक नौजवानों का झुण्ड दौड़ता हुआ आया और बोला- “मुख्यमंत्री का पुतला और एक अर्थी दे दो। हाइकमान ने कहा है कि मुख्यमंत्री की अर्थी जलाओ।”

जुम्मन सेठ बोले, “पाँच हज़ार रुपये लगेंगे।” भीड़ का नायक बोला- “तुम दो कौड़ी के मुख्यमंत्री के पुतले की कीमत रुपये 5000/- लगा रहे हो?”

“भैय्या, पुतले की कीमत आदमी से ज़्यादा होती है। देखते नहीं हो आदमी उसकी ज़िन्दगी में दस साल ही पुजता है पर उसका पुतला चौराहे औरभवनों के आगे साल दर साल पुजता है। भैय्या, पुतला तो आदमी से महंगा

ही मिलेगा । ” भीड़ का नायक बोला- “क्या यार, हमें ही ठग रहे हो। हम तो

यहीं के रहने वाले हैं।” जुम्मन बोला, “हम भी पीढ़ियों से यहीं रह रहे हैं।

फिर पक्की रसीद मिलेगी। वह हाइकमान को भिजवा कर उतने पैसे उनसे ले

लेना।” वह छुटभय्या बोला- “ठीक है, सात हजार पुतले की रसीद और छः

हज़ार की अर्थी की रसीद दे दो।”

उस भीड़ ने उस मुख्यमंत्री को अर्थी पर लिटाया और उनकी हाय, हाय और मुर्दाबाद करते हुए चले गये। कुछ ही देर बाद एक दूसरा झुण्ड आ गया और प्रधानमंत्री के पुतले की माँग करने लगा। जुम्मन बोला, “यार, प्रधानमंत्री के पुतले के रुपये दस हज़ार लगेंगे और अर्थी के सात हज़ार लगेंगे। ”

“ठीक है रुपये 20,000/- का बिल दे दो, मुख्यमंत्री को भिजवा दूंगा।

मगर एक पुतले की कीमत इतनी ज़्यादा ?” झुण्ड प्रमुख बोोला । “साहब!” जुम्मन सेठ बोले- “पुतला ही देश को चला रहा है। हमारा मुल्क पुतलों का मुल्क है। यहाँ पुतलों में जान आई और वहाँ वे नीचे गिरा दिये जाते हैं। उनके पीछे पुतलों की लाइन लगी है जो उनकी जगह लेना चाहती है। बहुत से पुतले इसी आशा में मर भी जाते हैं। पुतले पुतलों से डरते हैं। कभी कभी तो डोरियों को भी पुतलों से डर होने लगता है। पुतलों की डोरियाँ विदेशियों के हाथों में हैं। ”

पुतलों की यह परिभाषा सुनकर मांगीलाल आश्चर्यचकित हो गया। उसे यह सुनकर दुख हुआ कि जिन तेजस्वी लोगों को वह वोट देता है वे ऊपर जाकर कठपुतली बन जाते हैं और भीड़ उन कठपुतलियों की जै जैकार करती है। मांगीलाल आश्चर्यचकित हो गये। इसी सिलसिले में जुम्मन ने बतलाया- ‘काका, ये जो पुतलों का ढेर लगा है, ये साधारण पुतले हैं- जैसे भ्रष्टाचार के पुतले, मंहगाई के पुतले, चीन के पुतले, पाकिस्तान के पुतले इत्यादि । जो इज्ज़त के साथ रखे हैं वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कलेक्टर, एस.पी. और टी. आई. इत्यादि के हैं।”

” मेरे पुतलों के विज्ञापन टी.वी. के कई चैनलों में आते हैं। हीरोइन की टाँगें और सीना इन पुतलों और अर्थियों का विज्ञापन देता है। वह मुस्कुरा कर कहती है कि अर्थियाँ और पुतले तो जुम्मन की ही दुकान से खरीदें। यह सुन कर लोग खाना छोड़ कर पुतले खरीदने के लिये भागते दिखाई पड़ते हैं। अंतमें आवाज़ आती है कि जुम्मन की दुकान के पुतले उत्तम कोटि के हैं और वाजिब दामों पर मिलते हैं।”

ठंडे सीज़न में यानी चुनाव के तत्काल बाद स्कीम चलानी पड़ती है। जैसे अर्थियों की खरीदी पर भव्य इनामी योजना। हर पुतले की खरीदी को स्क्रेच करने पर हेलीकॉप्टर, कार या मोटर साइकिल निकल सकती है। एक अर्थी की खरीदी पर एक मुफ्त दी जायेगी या विरोधी पार्टी के नेता की अर्थियाँ जलाइये, इससे बड़ी देश सेवा और कोई नहीं। ”

अंत में बोला- “हमारे देश को ऐसे ही पुतले चला रहे हैं जो गांधी जी के तीन बंदरों की तरह न जनहित की सुनते हैं, न देखते हैं और न बोलते ही हैं। इनमें एक बंदर का और इजाफा हुआ है जो दिमाग पर हाथ रखे हुए है। यानी जो जनहित की सोचता भी नहीं है।”

2 Likes · 373 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कभी मनाती हो
कभी मनाती हो
ललकार भारद्वाज
Yearndoll
Yearndoll
shop nkdoll
किस्मत से
किस्मत से
Chitra Bisht
आदमी हो दमदार  होली में
आदमी हो दमदार होली में
sushil yadav
दिल एक उम्मीद
दिल एक उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
बेटी-नामा
बेटी-नामा
indu parashar
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिन्हें देखना कभी जुनून था,
जिन्हें देखना कभी जुनून था,
हिमांशु Kulshrestha
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
Sarfaraz Ahmed Aasee
"भाड़े के टट्टू"
Dr. Kishan tandon kranti
एक छात्र जो जीवन में कभी अनुशासित नहीं रह पाया !
एक छात्र जो जीवन में कभी अनुशासित नहीं रह पाया !
पूर्वार्थ देव
सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान
meenu yadav
अजनबी !!!
अजनबी !!!
Shaily
बाळक थ्हारौ बायणी, न जाणूं कोइ रीत।
बाळक थ्हारौ बायणी, न जाणूं कोइ रीत।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मौत का भय ✍️...
मौत का भय ✍️...
Shubham Pandey (S P)
** सुख और दुख **
** सुख और दुख **
Swami Ganganiya
चाँद पर रखकर कदम ये यान भी इतराया है
चाँद पर रखकर कदम ये यान भी इतराया है
Dr Archana Gupta
ध्रुव तारा
ध्रुव तारा
Bodhisatva kastooriya
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ನನ್ನಮ್ಮ
ನನ್ನಮ್ಮ
ಗೀಚಕಿ
ढूंढे तुझे मेरा मन
ढूंढे तुझे मेरा मन
Dr.sima
..
..
*प्रणय प्रभात*
यौवन का चिन्तन करती
यौवन का चिन्तन करती
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
लगाया करती हैं
लगाया करती हैं
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
भरोसा मुक़द्दर से ज़ियादा जब ख़ुद पे हो जाए।
भरोसा मुक़द्दर से ज़ियादा जब ख़ुद पे हो जाए।
Madhu Gupta "अपराजिता"
कविता
कविता
Rambali Mishra
💐💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐💐
💐💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
शिकस्तहाल, परेशान, गमज़दा हूँ मैं,
शिकस्तहाल, परेशान, गमज़दा हूँ मैं,
Shweta Soni
कोशिश
कोशिश
Girija Arora
जीव सदा संसार में,
जीव सदा संसार में,
sushil sarna
Loading...