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20 Jun 2023 · 1 min read

जिस बाग में बैठा वहां पे तितलियां मिली

जिस बाग में बैठा वहां पे तितलियां मिली
मैने छुआ यूं तितलियों को बिजलियां गिरी
वो रंग ~बिरंगी थी ~कहर ढाती इस कदर
उनका~ गुरूर देखकर~ में भी था बेखबर
कृष्णकांत गुर्जर

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