Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
18 Jun 2023 · 1 min read

"पिता मेरे जीवन की हिम्मत"

कहा से लिखना शुरू करु,सूरज की पहली किरण से तुम,
पिता मेरे जीवन की हिम्मत, पूरे सृष्टि की शान हो तुम|
सागर से भी गहरी, निर्दिष्ट लक्ष्य पाने की सीख हमे सिखाते हैं,
आसमान से भी ऊँचे, आगे बढ़ने की सीख हमें सिखाते हैं,
सरिता से भी अविरल,निरंतर जीवन के पथ पर चलना हमें सिखाते हैं,
पिता मेरे जीवन की हिम्मत, पूरे सृष्टि की शान हो तुम|
जिसके भोर हुए संघर्षो से, उस सृष्टि की कहानी हो तुम,
जिसने तपती दोपहर में,जल जलकर जीवन के राह दिखाए हो तुम,
जिसकी सांझ घर के ओसाने पर,असल में वही अंतस्तल हो तुम,
पिता मेरे जीवन की हिम्मत, पूरे सृष्टि की शान हो तुम|
माँ ममता की सरिता हैं तो, पिता पुण्य का सागर तट हो तुम,
सुनामी की सी लहरों को,खामोशी से सहते तट हो तुम,
सहजभाव से सब कुछ,सहकर सुत तृष्णा की तृप्ति करा दे वो तट हो तुम,
पिता मेरे जीवन की हिम्मत,पूरे सृष्टि की शान हो तुम||

Loading...