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15 Jun 2023 · 2 min read

धारा परिवर्तन की

तरुणाई अब जाग भी जाओ
राष्ट्र पुकारता मुंह खोल
चिर निद्रा में बिताया तुमने
जाने कितना जीवन अनमोल

कभी नाम पर जात पात के
कभी धर्म के नाम पर
राजनीति की सेकने रोटियां
हरदम तुमको बांटा गया

जितने भी आए मकसद उनका
तुमको सिर्फ लूटना ही था
इसीलिए तो हम तुमको
ऊंच-नीच में बांटा गया था

हुआ स्थानांतरण सत्ता का जब
तुमने अधिकार पाया था
क्यों नहीं इसको बंद कर
नया समाज बनाया था

इतिहास गवाह है विश्व पटल पर
निगाह यदि हम डालेंगे
किसी देश को लुटेरों का
महिमा मंडन करते ना पाएंगे

होते ही आजाद सभी ने
सबसे पहला यह काम किया
उखाड़ फेंकी दस्ता की निशानी
देश को सही इतिहास दिया

अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति
अपनी जनता का सम्मान रखा
संविधान और कानून को बदल कर
देश का अपने मान रखा

यह आजादी जो पाई हमने
क्या वाकई में आजादी है
विश्व इतिहास में ऐसी आजादी
कहीं देखने में नहीं आई है

राजा का चुना जाना भी यहां तो
एक षड्यंत्र सा जान पड़ता है
गोरों के हाथो से निकलकर अधिकार
काले अंग्रेजों के पास दिखाई पड़ता है

लोकतंत्र का गला घोंटकर
सत्ता जिन्होंने पाई थी
प्रजातंत्र के नाम पर उस दल ने
क्या खूब खिचड़ी पकाई थी

पहले नेताजी से किया किनारा
फिर सरदार से दूरी बनाई थी
अपना मंतव्य सिद्ध करने को
बिसात सुदृढ़ बिछाई थी

गोरों को देना कवच सुरक्षा
जिस दल के जन्म का कारण हो
राष्ट्रप्रेम और लोकहित की
उससे फिर कैसे बातें हो

जागो और उठो साथियों
समय फिर नहीं आने वाला
अभी भी यदि सोए रह गए
इतिहास माफ नहीं करने वाला

खिलवाड़ ये कैसा मेरे देश की
संस्कृति के साथ किया है
पुरुषार्थ को चोट पहुंचाई और
हीन भावना से ग्रस्त किया है

मैकाले की शिक्षा नीति पर
पहला आघात अब करना है
मैक्स मूलर अनुवादित ग्रंथों की
सच्चाई उजागर करना है

पुराने निरर्थक कानूनों में
परिवर्तन करना आवश्यक है
न्याय के मंदिर की महत्ता
बनाए रखना भी आवश्यक है

देशप्रेम की घटनाओं की
सच्चाई क्यों हमसे छुपाई गई
गौरव करने की बातें भी हमको
जानबूझकर नहीं बताई गई

सच को सच कहने में क्यों
सरकारें इतना डरती हैं
तभी तो फाइलें नेताजी की
आज भी खुलने को तरसती हैं

शास्त्री जी के साथ क्या हुआ
यह भी अभी तक रहस्य बना है
सत्य उजागर न करना भी
कौन सी सरकारी मजबूरी बना है

हवाला संबंधों का देकर
सत्य हर बार छुपाया जाता है
क्यों जन मानस के साथ
छलावा इतना किया जाता है

धीरे-धीरे धारा परिवर्तन की
अब हमको लानी ही होगी
देश प्रेम और राष्ट्रवाद की अलख
दोबारा जलानी ही होगी

इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
28.05.2023

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