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15 Jun 2023 · 1 min read

21-रूठ गई है क़िस्मत अपनी

दोस्त बनी जो ग़ुर्बत अपनी
रूठ गई है क़िस्मत अपनी

साथ वो मुफ़लिस के क्यों रहता
उसकी भी थी इज़्ज़त अपनी

नफ़रत का यह दौर मिटे बस
इतनी सी है चाहत अपनी

ख़ुद पर इतना भाव न खाओ
सबकी होती क़ीमत अपनी

छाँव रहे माँ के आँचल की
ऐसी हो प्रभु क़िस्मत अपनी

झूठ को सच साबित कर दें गर
सत्ता की हो ताक़त अपनी

घूम लिया मैं सारी दुनिया
भारत भू है जन्नत अपनी

~ अजय कुमार ‘विमल’

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