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11 Jun 2023 · 1 min read

समय का बहाव

शीर्षक-समय का बहाव

मुमकिन होता गर
तो पलट देते
समय के बहाव को
ज़िंदगी के रंग में
फिर से भर लेते अनगिनत रंग
जो कालचक्र में कहीं उतरे हुए हैं
उतार लाते वो लम्हा
जिसे नहीं चाहते थे कभी खोना
या
उन लम्हों में ही न जाते कभी
जिसे सोच के हो जाता है
दिल ग़मगीन
अगर मुमकिन होता
तो
न जाने देते कभी वो खुशियाँ
जिनसे रोशन हर फिज़ा थी।
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच, उ०प्र० )

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