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11 Jun 2023 · 1 min read

कहने को है बहुत कुछ

कहने को है बहुत कुछ
जिसे हम छिपाते हैं
अरमानों के आज़ाद परिंदे
को कहाँ रास आते है
कफस लफ़्ज़ों के …
इसलिए गढ़ लेते हैं किस्से दिल में
और दिल में ही फ़िर छिपा लेते हैं

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