Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Jun 2016 · 1 min read

पालनहार

मैं खड़ी यहां,तू छिपा कहाँ, ढूंढूं इत उत, पार करो नैया
पालनहार तारनहार कहाँ पतवार ओ जीवन के’ खवैया
कण कण में तुम कहाँ हुए ग़ुम वन पर्वत नदिया साँसों में तुम
इक बार दर्शन दो प्रभुवर चरण पखारूं औ लूँ मैं बलैयां।

Loading...