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10 Jun 2023 · 1 min read

मुरारी रे

मुखड़ा
सुनो विनती,बिहारी रे।
दया रखना,मुरारी रे।।

#अंतरा-१
झरे बदरा,खिली खेती।
कभी फसलें,हुई रेती ।।
भरा आँचल,कभी डूबा।
हरा आँचल,कभी शोभा।।

हरो विपदा, हमारी रे।
दया रखना,मुरारी रे।।

#अंतरा-२
फसल गेहूँ,पकी जाती।
कृषक निंदिया,उड़ी जाती।।
सजे सपने, सुनहरे री।
छटें बादल,घनेरे री।।

हमें आशा,तिहारी रे।
दया रखना,मुरारी रे।।

#अंतरा-३

हथेली भर,फसल होती,
थकी काया,निशा ढोती।
चलो बाँटें,कनक दानें,
जुगत ताकत,यही माने।

हरो तृष्णा बुखारी रे।
दया रखना,मुरारी रे।।

#अंतरा-४
नहीं आँखें,भिगाई जी।
दुखों से की,सगाई जी।।
सुखद यौवन,कहाँ पाली।
सदा खाली,रही थाली।।

फिरी सुख पे,बुहारी रे।
दया रखना,मुरारी रे।।
नीलम शर्मा ✍️

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