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8 Jun 2023 · 1 min read

जब कभी मन हारकर के,या व्यथित हो टूट जाए

जब कभी मन हारकर के,या व्यथित हो टूट जाए
तड़ फड़ाती साधना भी, जब विवश हो छूट जाए
लड़ खड़ाते पांव थमने में,विफल जब हो रहे हों
याचना आराध्य ही जब,अनसुनी सब कर रहे हों
तब विकलता जीत जाने की,तुम्हारा देवता है
नर तुम्हारा बल जगत में ,देव याचन से बड़ा है!

@योगिनी काजोल

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