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8 Jun 2023 · 1 min read

प्यासा कौवा

प्यासा कौवा

एक बार की बात है बच्चों
गर्मी प्रचंड थी खूब
पानी ढूंढ रहा था कौवा
सिर पर पड़ रही थी धूप
उड़ता फिरता गांव गांव वह
नहीं दिखी जल की एक बूंद
उड़ता उड़ता दूर जा पहुंचा
दिखा घड़ा एक बहुत ही दूर
कौवा घट पर झट जा पहुंचा
पर पीने को हुआ मजबूर
चौंच झट से डाली अंदर
पानी पर नीचे था दूर
इधर उधर नजर दौड़ाई
आयी युक्ति एक सूझ
कंकड़ पत्थर बीन बीन कर
डाले घड़े में कौवे ने खूब
पानी धीरे-धीरे ऊपर आया
कौवे ने बुझाई प्यास जरूर
ना वह हारा ना घबराया
विपत्ति में बुद्धि का लिया सहारा
प्यारे बच्चों, तुम भी समझो
विषम स्थिति में ना घबराओ
सूझ बूझ प्रज्ञा से निशदिन
आगे बढ़ते ही तुम जाओ

मीनाक्षी वर्मा
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश।

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