ग़ज़ल सगीर अहमद सिद्दीकी
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अग्नि परीक्षा सहने की एक सीमा थी
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
मानव निर्मित रेखना, जैसे कंटक-बाड़।
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
अफवाहों का बाजार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
- दिया लेकर ढूंढोगे पर मेरे जैसा तुम्हे ना मिले -
मुश्किल है अपना मेल प्रिय।
जी करता है मै पूंछ ही लूं इन नियम के ठेकेदारों से
ग़ज़ल की फुहार , मेरे हाथों में