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7 Jun 2023 · 1 min read

दहके दिनकर दिनभर अंबर

दहके दिनकर दिन भर अंबर
धरती तपती बाहर अंदर ,
कुपित हुई है पवन घूमती
लिये तेज लूओं का खंजर ।

जेठ माह है अकड़ दिखाता
घुमा रहा गरमी का हंटर ,
सभी ओर है ताप का नर्तन
मिले नहीं राहत का मंतर ।

शीतल नीर समझा रहा है
करो शुद्धता मेरे अंदर ,
बिन मेरे तुम सह न सकोगे
फैला तीव्र तपस का जन्तर ।

डॉ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल

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