Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Jun 2023 · 1 min read

बसंत पंचमी

(१)
मातु शारदा प्रकट भई है, आये हैं ऋतुराज सखी,
झूम रही वन उपवन-डारी, झूम उठा मधुमास सखी।
गुलमोहर, चंपा, टेसू पर, भ्रमर नाचते विविध रंग के,
शगुन गीत गाये मृदु अंबर, अधिक सुखद दिन आज सखी।।

(२)
मधुरस अधर भरे तितली की, देख चपलता हर्षाता हूँ,
मैं भी फागुन के आने की, आहट साफ देख पाता हूँ।
कैसे निर्मल निर्झर झरते , कोयल के सुन मीठे बैन,
हर्षित, उल्लासित हो मैं भी, गीत बसंत नवल गाता हूँ।।

– नवीन जोशी ‘नवल’

Loading...