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4 Jun 2023 · 1 min read

जप-तप या पूजा करो, अथवा पढ़ो नमाज़ ।

जप-तप या पूजा करो, अथवा पढ़ो नमाज़ ।
धर्म नहीं कहता कभी , विघटित करो समाज ।।
विघटित करो समाज , दिखे बस हिंसा , नफ़रत ।
खत्म हुआ सौहाद्र , बदल दे अब तो फितरत ।
समरसता की गूँज , बन्दकर झूठी गप शप ।
छोड़ ढोंग पाखण्ड , शुरू कर सच्चा जप तप ।।
सतीश पाण्डेय

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