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3 Jun 2023 · 1 min read

ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’

ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
दोहा जब कहने लगूँ, मुझमें संत कबीर

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