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1 Jun 2023 · 1 min read

बगिया के सृजनकार

सृजन विधाता ने किया,
कितना सुंदर संसार।
आकर भू पर पाया हमने,
एक दूजे का प्यार।
मानव कितना सुन्दर हैं,
और कितनी सुंदर प्रकृति।
मानव हो या फूल हो दोनों,
हैं प्रकृति की ही कृति।
विद्यालय में बाग सजाया,
मेहनत के खाद पसीने से।
कमल खिला,परिणाम मिला,
अहसास सुखद हैं जीने से।
फूले फले वन उपवन सा,
हम सबका ही जीवन।
हो प्रसन्न यहां जो आएं,
धरा हुई यह पावन।

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