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31 May 2023 · 1 min read

बरखा

नील गगन में बादल गरजे
उमड़ घुमड़ कर शोर मचाते
जाने किस छोर से आ जाते
कभी आंख मिचौली खेलते
भर अपने संग पानी लाते
रिमझिम रिमझिम खूब बरसते
प्यारी बरखा रानी आती
छम छम सी करती
संग हवा भी पंख डुलाती
खेतों में लहराती फसलें
खुशहाली और समृद्धि लाती
कल -कल नदियां बहती
झर झर पर्वत पर झरना
चारों ओर लगें सुहाना।
कण-कण में वर्षा जल महकें
बाल बच्चों को खुश कर देती
कागज की कश्ती पानी में बहती
जीवन में खुशियां भर देती
धरा पर बसंत छा जाता
कुसुम मुस्कान बिखराते
पेड़ों पर कोयल बोली
मयुर मनमोहक नृत्य करते
दादुर ने खोला कंठ
घर आंगन में बने पकवान
बच्चे बड़े सब लेते आनन्द
बरखा की बात निराली
संग लाती रुत मस्तानी
आई प्यारी बरखा रानी

नेहा
खैरथल अलवर (राजस्थान)

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