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30 May 2023 · 7 min read

दिल का सौदा

जीवन के 60 वें पड़ाव पर पूरे शरीर में झुर्रियां पड़ने लगी और याददाश्त कमजोर होने लगी,, अपने सब साथ छोड़ने लगे, सब पराये से लगने लगे .. तब उसका आना जीवन में एक नए सवेरे की तरह होता.. सब कुछ नया नया अलग सा….आखिर इन रिश्तों की एक दिन तो शाम होनी है.. । ( रोजी मन ही मन कहती हुई पार्क में चक्कर काट रही थी)

और आज कोहरे की धुंध थोड़े ज्यादा है , शायद इसीलिए कुछ खालीपन सा है .. रोज साथ दौड़ने वाले लोग आज दिखाई भी नहीं दे रहे शायद अपने परिजनों के साथ सर्दियों का आनंद ले रहे होंगे कहीं ‌। पर, रोजी का कोई नहीं जिसके साथ इन सर्दियों मैं गर्मजोशी लगे … ना तो उसे खुश करने वाले वे बच्चे जिनकी चहल कदमी के बगैर पूरा घर खुले आकाश सा लगता … और न ही विनीत जिसको देखकर वह डेफोडिल की तरह मुस्कुराने लगती।
(थोड़ा सा पानी पीकर रोजी फिर दौड़ने लगी,पार्क के 2 चक्कर लगाकर फिर थक हार कर सीट पर बैठ गई।)
तभी सामने से एक अनजान शख्स ने करीब से पूछा –जूस लेंगे क्या?
(उसका इतनी सहजता से एक पराई औरत से बात करना थोड़ा अजीब तो लगा, पर उसकी आंखों की चमक ने उसे दो पल में अपने वश में कर लिया)….
“थैंक्स .. शायद मुझे जूस की जरूरत है।” (अपने कप में थोड़ा सा लेते हुए दो सिप् पिया,)
फिर,आगे रोजी उससे पूछती है— “वैसे आप का घर कहाँ है … ”
वह व्यक्ति: – घर ! … घर नहीं है , मकान है..(हंसते हुए कहा फिर सहज होकर आगे कहता है )मेरा तो मकान भी नहीं है एक दोस्त के यहां रहता हूं।
रोजी: यह सब आप मुझे क्यों बता रहे हैं।
आगंतुक : क्योंकि दोस्तों से कुछ छुपाना नहीं चाहिए।
रोजी: पर यहां आपका दोस्त कौन है?
आगंतुक :- है नहीं तो हो जाएगा।

बाकी कहानी शेष…लोगों ने बताया कि यहां तो ऐसा कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ क्योंकि अगर होता तो शायद पेपर में इसकी खबर आती….
रोजी भागी भागी मेट्रो हॉस्पिटल में पहुंची…. अस्पताल में उन चेहरों को खोज रहे थे जिन्होंने उसकी देखभाल की थी.. पर उसे नए चेहरे दिख रहे थे… हॉस्पिटल में जाकर उसने अपने रिपोर्ट्स और अपने एडमिट होने की जानकारी मांगी…
हॉस्पिटल के रिकॉर्ड में उसका कहीं भी न
अब तो विनीत भी नहीं तो रोजी अक्सर जॉगर्स पार्क में मिलने लगे , दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगता , अपने पूरे जीवन की गाथा एक दूसरे से साझा करते हैं दिन बीत जाता और फिर भी कहानी अधूरी रहती ।
सारी बातें करते करते 1 दिन दिल की बात जुबां पर आ ही गई। विनीत ने अपने दिल की बात रोजी से कह दी
क्यों ना हम दोनों के मकान मिल कर एक घर हो जाए।
चाहती थी रोजी भी यही थी पर, एक औरत के लिए बहुत कठिन होता है ऐसा कुछ आसानी से स्वीकार कर पाना।
आधी हां और आधी ना बिना किसी जवाब के मुस्कुराते हुए जूस की बोतल और बैग उठाकर सरपट सड़क की तरफ दौड़ गई।
कभी-कभी नीति को कुछ और ही मंजूर होता, सामने से आती हुई , तेज रफ्तार की गाड़ी , दिखाई नहीं दे, और एक ही झटके में रोजी सड़क लेट गई ……. समझो सब कुछ खत्म…. एक अंधेरा सा सन्नाटा….
रोजी जब अपनी आंखें खोल दी है तो ऑपरेशन थिएटर की, लाल हरी जलती हुई बत्तियां, और कई डॉक्टरों के बीच खुद को पाती है… कहती – “यह सब क्या है मुझे हुआ क्या है”
नर्स: आप का एक्सीडेंट हो गया था … एक्सीडेंट में आपको बहुत ही चोट आई और ऑर्गन बदलना पड़ा….
रोजी: थोड़ी कमजोरी सी महसूस करते हुए .. ओह! हां मैं पार्क से निकल रही थी तो किसी गाड़ी ने टक्कर मारी शायद कुछ हुआ पर मुझे याद नहीं….
मुझे हॉस्पिटल कौन लाया और विनीत कहां है मेरा फ्रेंड विनीत कहां है?
नर्स: वह बगल वाले कमरे में एडमिट है क्योंकि उन्होंने अपना हार्ट डोनेट किया है …
रोजी हार्ट डोनेट किया है किसको , नर्स ने बोला आपको।
तभी विनीत का भाई और उसके परिवार कमरे में दाखिल हुए…
विनीत की मां: अनजान रिश्तो में न जाने कितनी सच्चाई नजर आती है उसे मां बाप का ख्याल भी नहीं आया अपना कलेजा निकाल कर दे दिया… विनीत के भाई और पिता ने मां को समझाते हुए सांत्वना दिया।
अब डिस्चार्ज का टाइम आ गया ऑफिस का स्टाफ हॉस्पिटल का बिल लेकर आया 10 लाख रुपए का बिल था , रोजी ने अपना क्रेडिट और डेबिट कार्ड निकालकर पेमेंट कर दिया।
डिस्चार्ज के बाद सभी अपने अपने घर चले गए…..
घर आने के बाद रोजी विनीत के बारे में सोचने लगी कि क्या… अनजान और झूठी दुनिया में भी सच्चे रिश्ते होते हैं…. विनीत सच में मुझे कितना प्यार करता है … ओह! मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए यह मेरे सोचने की उम्र नहीं है…. पर क्या करूं कि दिल मानता ही नहीं शायद यह जो उसका दिल मुझ में धड़क रहा है यह उसी का असर है…
और फिर एक गीत गुनगुनाने लगती है….
डॉक्टर मैं उसको कुछ दिन कहीं बाहर जाने के लिए मना किया था इसलिए पार्क भी नहीं जा सकती…… विनीत को अपने घर पर मिलने के लिए बुलाया… और अपने दिल की बात कह दी…
विनीत ने कहा कि मेरे माता पिता इसके लिए कभी तैयार नहीं होंगे…. और मैंने तुम्हारे बारे में कभी ऐसा सोचा नहीं… हम सिर्फ एक अच्छे दोस्त हैं….. पर तुम कुछ ज्यादा ही पॉजिसिव हो गई कहकर वह वापस चला गया।
रोजी अब ठीक हो गई थी और फिर से जॉगर्स पार्क में जाने लगी ….. जिंदगी उसे वीरान सी लग रही थी अपने आपको ठगा हुआ सा महसूस कर रहे थीं।
अब उसके पास कोई नहीं जो उसे अपने बोतल से जूस पिलाया।
पार्क में बहुत देर बैठने के बाद रोजी घर वापस चली गई…. यह सोच कर कि विनीत जैसे फरिश्ते बहुत कम होते हैं यह मेरी जिंदगी उसी का कर्ज हैं।
रोजी पार्क के बाहर आई और लोगो यहां कुछ दिन पहले हुए घटना के बारे में पूछा।

भीड़ में लोगों ने बताया कि यहां तो ऐसा कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ क्योंकि अगर होता तो शायद पेपर में इसकी खबर आती….तब ,रोजी भागी भागी मेट्रो हॉस्पिटल में पहुंची…. अस्पताल में उन चेहरों को खोज रही थी ,जिन्होंने उसकी देखभाल की थी.. पर उसे नए नए चेहरे ही दिख रहे थे… हॉस्पिटल में जाकर उसने अपने रिपोर्ट्स और अपने एडमिट होने की जानकारी मांगी… लेकिन,हॉस्पिटल के रिकॉर्ड में उसका नाम कहीं भी नहीं था…वह भागकर डॉक्टर से मिली…. डॉक्टर से कहा , “( हड़बड़ाहट में) डा. क्या मेरा हार्ट का ट्रांस प्लांट हुआ है?” तब डॉक्टर ने जवाब में कहा,—” आपका रिकॉर्ड हमारे यहां मौजूद नहीं है, फिर हम कैसे कह दें कि आपका किसी प्रकार का ट्रीटमेंट या ट्रांसप्लांट जो भी कुछ कह रही हैं वह यहां हुआ है शायद आपको कुछ गलतफहमी है।”
रोजी ने दूसरे हॉस्पिटल में गए अपनी फ्रेंड को फोन किया और हॉस्पिटल में जाकर अपना एक्सरे ईसीजी सारे टेस्ट करवाएं सारे टेस्ट नार्मल थे और किसी तरह का कोई ऑपरेशन या उसका कोई निशान उसके शरीर पर नहीं था।
वह बार-बार विनीत के नंबर पर फोन कर रही थी पर, नंबर नॉट विजिबल जा रहा था, स्विच ऑफ।उसके साथ अब लाखों की ठगी हो चुकी थी और तो और उसके एटीएम और कार्ड्स भी गायब थे।वह अपने मोबाइल में खोज रही थी कि शायद उसकी कोई तस्वीर मिल जाए पर , उसकी कोई तस्वीर उस मोबाइल में नहीं थी क्योंकि वह कभी भी, अपनी फोटो नहीं खिंचवाया था और सिर्फ दोस्त बनकर रहा कभी नजदीक नहीं आया।
रोजी पहले तो खूब चीखी.. और फिर जोर जोर से हंसने लगी..
उसकी फ्रेंड ने उसको संभालते हुए गाड़ी में बिठाया….
पुलिस के पास जाकर इस पूरे घटना की रिपोर्ट लिखाई , रोजी ने अपनी फ्रेंड से कह दिया कि इस बात को किसी और से मत कहना क्योंकि अगर बच्चों को यह बात पता चलेगी तो क्या रिएक्ट करेंगे।
तभी बेटे का फोन आया और वह पूछने लगा — मम्मी इतने सारे पैसे का आपने क्या किया,? रोजी गुस्सा कर बोली — अच्छा एक तो तुम लोग वहां अमेरिका जा कर बैठे गये और ऊपर से मुझसे हिसाब पूछ रहे। इन 10 सालों में कभी तुमने पूछा कि मम्मी आप कैसी हैं और क्या कर रहे हैं कभी कोशिश भी नहीं की यहां आने की..”
फिर , रुआंसी होती कहने लगी — मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो……!
(मन ही मन) लो जी ने सब को चुप करा लिया पर कुछ शांत नहीं उसे समझ में नहीं आ रहा था की शुरुआत कहां से करें ,उलझन को कैसे सुलझाए ? या कि सब कुछ भुला दे?
उसने जाकर पार्क में बात की, कि शायद कोई फोटो मिल जाए। पूरे पार्क की फोटो कंप्यूटर में है पर जिस सीट पर वह और विनीत बैठते थे वहां की कोई फुटेज नहीं मिल सकी, कितना बड़ा गेम है यह सब, पार्क के सामने एक लेडीस पार्लर जहां पर जेंट्स का जाना अलाउड नहीं है रोजी उसमें गई और उनसे हेल्प मांगी, ब्यूटी पार्लर वाली का फोन आया कि मेन गेट पर एक फुटेज मिली है, उसने देखा फुटेज में रोजी विनीत और उसका भाई और वह गाड़ी वहां पर दिखाई दी।
यातायात पुलिस के पास जाकर गाड़ी का नंबर देकर उसके बारे में पता लगाया और पुलिस ने फोटो वायरल कर दिया।
रोजी ने सोशल मीडिया के माध्यम से , जुड़े अपने सारे दोस्तों मित्रों रिश्तेदारों को उसकी फोटो भेजी और सोशल मीडिया पर आखिर वह मिल ही गया नाम और शहर बिल्कुल बदला हुआ।
इधर पुलिस भी उसको ढूंढने में लगी हुई थी।
रोज़ी के पास जो सबूत थे, वह काफी थे विनीत को पकड़ने में, रोजी ने चैन की सांस ली ……. यह खबर रोजी के बेटे तक भी पहुंच गई….. बहुत ज्यादा शर्मिंदा हुए कि काश हम लोग मां के साथ रहते तो शायद ऐसा नहीं होता….. रोज़ी को भी यकीन हो गया था कि… की आभासी दुनिया के प्यार को …… आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए…

कथा लेखक सरिता सिंह गोरखपुर

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