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28 May 2023 · 1 min read

मन के तार

मन के तार को चलो एक बार छेड़ा जाये,
दिल से दिल को एक बार फिर जोड़ा जाए।

गलतफहमियों की हर दीवार ध्वस्त कर,
चलो विश्वास की तरफ मन को मोड़ा जाए।

उलझनें लाख मन को बेचैन क़रती है सदा,
चलो मन से चिंताओं को दूरकर छोड़ा जाए।

अना की दीवार रिश्तों के बीच जो आई हैं,
मिलजुलकर इस दीवार को चलो तोड़ा जाए।

चटखारे के साथ छोटी बातों को बड़ा बनाना,
इस तरह बातों का बम क्यों बोलो फोड़ा जाए।

नही चाहत की सब कुछ मिल जाये सबको,
सबके हिस्से में ज्यादा न सही थोड़ा जाये।

सीधे सरल लफ़्ज़ों में कहे दिल की बातें,
यूँ ही नही बातों को बेवजह मरोड़ा जाए।

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