Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
28 May 2023 · 1 min read

मेरे प्रभु!

जहां में कोई स्थान हो या न हो
मगर मेरे प्रभु अपना आशीष रखना,
कि मैं ही मेरा आशियाना बनूं।
अकेली चलूं सिर उठाकर जियूं,
मगर हौसला हमेशा बरकरार रखना,
जहां में कोई स्थान हो या न हो
मगर मेरे प्रभु अपना आशीष रखना।
उम्मीदों का सिलसिला किसी से ना हो कभी,
मगर रिश्तों की पकड़ मजबूत रखना।
मुकम्मल करूं सभी संकल्प अपने,
इतना सा ही वरदान देना।
जहां में कोई स्थान हो या न हो
मगर मेरे प्रभु अपना आशीष रखना।।

Loading...