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28 May 2023 · 1 min read

@ !! "हिम्मत की डोर" !!•••••®:

वो कहते हैं तो कहने दो,
अब हमको फर्क नहीं पड़ता।
कितनी भी गहरी चोट लगे,
सीने में दर्द नहीं बढ़ता।
है भूंख वही है प्यास वही,
जीवन मेरा कुछ खास नहीं।
बस सबर करो तुम आज रुको,
मैं कल परचम लहराऊंगा।
मरुथल की अपनी दुनिया में ,
घनघोर घटा बन छाऊंगा।!
~$hukl@mbuj..

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