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28 May 2023 · 1 min read

"जरा सोचिए"

“जरा सोचिए”
जिनके हाथ नहीं होते
वे लकीरों के अभाव में
क्या जिन्दा नहीं रहते,
और
लकीर वाले हाथ, क्या
जख्मों की पीड़ा नहीं सहते?

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