Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2023 · 1 min read

आहिस्ता चल

ऐ मन जरा आहिस्ता चल,
यूं बड़ी नदी में जलकुंभी सा
ना कूद कूद के आगे बढ़
ऐ मन जरा आहिस्ता चल,
मत बन बादल मतवाला
पा संग पवन तू डोल रहा
ऐ मन जरा आहिस्ता चल,
थाम विचार की उंगली तू
आंधी सा कौंधा करता है
कभी भाव की नौका में
भंवरों से उलझा करता है
ऐ मन जरा आहिस्ता चल,
तू मैं की लाठी छोड़ जरा
औ शांत चित्र से ध्यान लगा
तू प्रबल शक्ति इस काया की
क्यूँ व्यर्थ में सरपट दौड़ रहा
ऐ मन जरा आहिस्ता चल|

Language: Hindi
289 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Priya Soni Khare
View all

You may also like these posts

👨🏻‍🎓वकील सहाब 👩‍💼
👨🏻‍🎓वकील सहाब 👩‍💼
Dr. Vaishali Verma
'कांतिपति' की कुंडलियां
'कांतिपति' की कुंडलियां
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
महाकुंभ
महाकुंभ
Vivek Pandey
दहि गइल घरिया
दहि गइल घरिया
आकाश महेशपुरी
तृष्णा का थामे हुए हाथ
तृष्णा का थामे हुए हाथ
Shally Vij
महाशिवरात्रि विशेष
महाशिवरात्रि विशेष
Raj kumar
हर चेहरा लहूलुहान है
हर चेहरा लहूलुहान है
Shekhar Chandra Mitra
शिव सुखकर शिव शोकहर, शिव सुंदर शिव सत्य।
शिव सुखकर शिव शोकहर, शिव सुंदर शिव सत्य।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुहब्बत से दामन , तेरा  भर  रही है ,
मुहब्बत से दामन , तेरा भर रही है ,
Neelofar Khan
3773.💐 *पूर्णिका* 💐
3773.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"सुनो भाई-बहनों"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं बैरवा हूँ
मैं बैरवा हूँ
gurudeenverma198
मकरसंक्रांति
मकरसंक्रांति
Dr Archana Gupta
जीवन में,
जीवन में,
नेताम आर सी
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
आ लिख दूँ
आ लिख दूँ
हिमांशु Kulshrestha
दर्शन एवं विज्ञान (Philosophy and Science)
दर्शन एवं विज्ञान (Philosophy and Science)
Acharya Shilak Ram
शीर्षक - सोच और उम्र
शीर्षक - सोच और उम्र
Neeraj Kumar Agarwal
Yamini jha
Yamini jha
Yamini Jha
Khám phá J7bet và nhận phần thưởng khủng, chiến thắng ngay hôm nay!
Khám phá J7bet và nhận phần thưởng khủng, chiến thắng ngay hôm nay!
j7bet
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
आर.एस. 'प्रीतम'
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
आ रही हो न (बारहमासा)
आ रही हो न (बारहमासा)
सोनू हंस
🙅गुस्ताख़ी माफ़🙅
🙅गुस्ताख़ी माफ़🙅
*प्रणय प्रभात*
बाबा , बेबी।
बाबा , बेबी।
Kumar Kalhans
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
मैं ख़ाक से बना हूँ
मैं ख़ाक से बना हूँ
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग (कुंडलिया)*
*टहलें थोड़ा पार्क में, खुली हवा के संग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
उस बाग का फूल ज़रूर बन जाना,
उस बाग का फूल ज़रूर बन जाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दस्तक :
दस्तक :
sushil sarna
Loading...