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27 May 2023 · 1 min read

जग जननी

जग जननी
दुःख हरणी ,मंगल करनी तू तारण
हारी तू सकल जगत संसार माँ।।
दुष्ट विनासक, भय भव भंजक
पल, प्रहर अविरल युग प्रवाह माँ।।
जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।
पाप विनासनी मोक्ष दायनी
जगत कल्याणी युग गति व्यवहार माँ।
जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।
अपराध क्षामं करती चाहे जो भी
गलती तेरी ही संतान युग संसार माँ
माँ तेरी महिमा ब्रह्मा ,विष्णु, शंकर
गाये तेरी महिमा अपरंपार माँ।।
जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।
देवोँ की देवी स्वर्ग ,नर्क उद्धार माँ
धन ,बैभव ,शुख संपत्ति दाता
तुझे नित दिन जो धावे तेरा ही ध्यान लगाएं सकल मनोरथ पावे।
भव सागर से तू ही करती बेड़ा पार माँ।।
स्वांस प्राण आधार माँ
जग जननी तू सकल जगत आधार माँ।।
भक्तो की शक्ति तू अवनि आकाश
ब्रह्मांड माँ जग जननी तू सकल जगत
संसार माँ।।
तू पार्वती राधा ,रुक्मणि अर्धनारीश्वर
ईश्वर की श्रृंगार माँ जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।
तू माता ममता तेरा आँचल हम बालक
नादान माँ जग जननी तू सकल जगत
संसार माँ।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

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