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27 May 2023 · 1 min read

परंपरा का घूँघट

लिया समय ने करवट।

जिसके हिस्से में
रहती थी
हर पग पर दुश्वारी,
स्वप्नों के
बटुवे में उसके
आई दुनिया सारी।

शिक्षा के झोंके ने उलटा
परंपरा का घूँघट।

रही दिखाती
आदिकाल से
जो अपनी मुस्तैदी,
चूल्हे-चौके तक हो सीमित
बनी घरों में कैदी।

साथ सड़क के
दौड़ लगाती,
रोजाना अब सरपट।

अबला समझ
दिखाया सबने
अपना रूप घिनौना,
काम वासना के
बिस्तर का
समझा नर्म बिछौना।

अभिशप्त जहाँ
रहती थी वह,
पीछे छूटा मरघट।
लिया समय ने करवट।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

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