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26 May 2023 · 1 min read

दायरे से बाहर

छीन के काँटो से गुलाब लाया हूँ
हुस्न का तेरे मैं जवाब लाया हूँ ।
देखो कहीं दरक न जाए आइना
बला की तुझपे मैं शबाब लाया हूँ।
भरेंगे चांद और सितारे अब आहें
साथ अपने’वो’माहताब लाया हूँ ।
जिसको पढ़ने की हसरत लिए था
इश्क़ की मै ‘वो’ किताब लाया हूँ ।
याद रखेगा ज़माना,ज़माने तलक
आशिक़ी में वो इन्क़लाब लाया हूँ ।
पेशानी पे रकीबों के बल पड़ गए
अजय उनके लिए अज़ाब लाया हूँ
-अजय प्रसाद

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