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26 May 2023 · 1 min read

सज्जनता के जेवर

रास नहीं आते
दुनिया को
सज्जनता के जेवर।

फिकरा कसती
रहती राहें
अपने कहते बुजदिल,
खून जोंक-सा
चूसा करती
रोज अनोखी मुश्किल।

धूर्त भेड़िए दिखलाते हैं
अपने तीखे तेवर।

पूज्य तिरस्कृत
जब होता है
निंदित जाता पूजा,
बाज बना वह
भरे उड़ाने
सच में होता चूजा।

सुरसा जैसा
दुर्जनता का
बदला दिखे कलेवर।

बनी बहुरिया
निर्धन की है
सज्जनता अच्छाई,
बच्चे-बूढ़े
सबको लगती
वह अपनी भौजाई।

द्रुपद सुता की
साड़ी खींचें
दुश्शासन से देवर।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

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