Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 May 2023 · 1 min read

घर बन रहा है

घर बन रहा है।

अथक प्रयास..
आशातीत-स्वप्न
असंभव से
चुनौतीपूर्ण डगर…
एकटक गड़ाए नज़र…
कष्ट सी रिवाजें
स्नेहपूर्ण निभाते हुए
इन सब में शामिल…
पंथी का स्वेद छन रहा है।
घर बन रहा है।।

बढ़ता बिन भय के
झड़ी-चक्रवात की
पैदा करती मुश्किलें
लेता टक्कर गंभीर…
बँधाता स्वयं को धीर…
जीवन-नईया लेकर
लहरों के संग बहते हुए
करता किनारा जिससे….
सागर उफन रहा है।
घर बन रहा है।।

दृश्य सजीले…
उलझता भटकता मन
पर होता एकाकार
लगाता मंजिल राह…
दर्द,वेदना उफ् आह…
यादें दफन कर
कर्तव्य पथ पर थोड़ा
अपनत्व धारण कर….
“मुसाफिर”चंचल मन रहा है।
घर बन रहा है।।

रोहताश वर्मा “मुसाफिर ”

Loading...