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23 May 2023 · 1 min read

मुकम्मल राबता

रखना है तो मुझसे रख तू मुकम्मल राब्ता।
बढ़ा न मेरी मुश्किलें, तुझे खुदा का वास्ता।

बहुत मजबूर हो गये है हम,तेरी चाहत में ।
तुम्ही को ढूंढते हैं हम, हर किसी आहट में।

बहुत मुश्किल है ऐसे में,दिल को समझाना।
तेरे आने की चाहत में, रोज़ दीप जलाना।

पूछ मत हमसे इज्तिराब ए शौक हमारा।
इश्क़ में दीवाने ने , दिल तुझपे था वारा।

मोहब्बत में दो‌ हो तो उन्हें एक ही जानों
आग का दरिया है,बचो इससे मेरी मानो।

सुरिंदर कौर

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