Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 May 2023 · 1 min read

किस बात का गुमान है यारो

किस बात का गुमान है यारो
आदमी माटी का मकान है यारो।

बना ले ख्वाबों के सौ – सौ महल
अंतिम ठिकाना तो मसान है यारो।

सोने-चांदी नहीं,सुकून के दो-पल खरीद
ये दुनिया आनी- जानी दुकान है यारो।

चंद – साँसों का खेल है यह जीवन
आदमी दो -दिन का मेहमान है यारो।

इंसानियत ही पहचान है इंसानों की
यहाँ न कोई हिन्दू, न मुसलमान है यारो।
a m prahari

Loading...