Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2023 · 1 min read

*आपको सब ज्ञान है यह, आपका अभिमान है 【हिंदी गजल/गीतिका】*

आपको सब ज्ञान है यह, आपका अभिमान है 【हिंदी गजल/गीतिका】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
आपको सब ज्ञान है यह, आपका अभिमान है
ज्ञान को संपूर्णता में , कौन पाया जान है
(2)
जो बता दे गलतियॉं, आकर सुधारे आपको
आभार का वह पात्र है, देव-तुल्य महान है
(3)
गलतियाँ इंसान से, हर रोज ही होती रहीं
गलतियों का एक पुतला, दरअसल इंसान है
(4)
जिंदगी में साधना का, अर्थ इतना ही हुआ
बस सुधारों पर रखा, हमने बराबर ध्यान है
(5)
मैल बर्तन पर लगा जो, एक दिन हट जाएगा
मॉंजने की प्रक्रिया, होती बहुत आसान है
————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451

247 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
एकांत
एकांत
Shally Vij
पेड़ों ने जगह दी ना शाख़ों पे नशेमन है
पेड़ों ने जगह दी ना शाख़ों पे नशेमन है
Kanchan Gupta
अपनी कहानी में तुम भी सही हो,
अपनी कहानी में तुम भी सही हो,
jyoti jwala
एक मुट्ठी राख
एक मुट्ठी राख
Shekhar Chandra Mitra
खोया जो कुछ
खोया जो कुछ
Rashmi Sanjay
गुलामी के पदचिन्ह
गुलामी के पदचिन्ह
मनोज कर्ण
ये जो अशिक्षा है, अज्ञानता है,
ये जो अशिक्षा है, अज्ञानता है,
TAMANNA BILASPURI
मदर्स डे
मदर्स डे
Satish Srijan
रिश्ते निभाने के लिए,
रिश्ते निभाने के लिए,
श्याम सांवरा
स्याह एक रात
स्याह एक रात
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Pritam shrawastawi
फ़कीर
फ़कीर
अनिल मिश्र
😊कहां रुपल्ली, कहां रुपैया😊
😊कहां रुपल्ली, कहां रुपैया😊
*प्रणय प्रभात*
नारी की लुटती रहे, क्यूँ कर दिन दिन लाज ?
नारी की लुटती रहे, क्यूँ कर दिन दिन लाज ?
RAMESH SHARMA
" ज्ञान "
Dr. Kishan tandon kranti
वक्त से पहले किसे कुछ मिला है भाई
वक्त से पहले किसे कुछ मिला है भाई
sushil yadav
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
Saraswati Bajpai
Mere papa
Mere papa
Aisha Mohan
काली रजनी
काली रजनी
उमा झा
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
Neelam Sharma
अवध-राम को नमन
अवध-राम को नमन
Pratibha Pandey
3170.*पूर्णिका*
3170.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आभार धन्यवाद
आभार धन्यवाद
Sudhir srivastava
जमाना इस कदर खफा  है हमसे,
जमाना इस कदर खफा है हमसे,
Yogendra Chaturwedi
किस बात की चिंता
किस बात की चिंता
Anamika Tiwari 'annpurna '
कैसे प्रियवर मैं कहूँ,
कैसे प्रियवर मैं कहूँ,
sushil sarna
लड़ो लड़ाई दीन की
लड़ो लड़ाई दीन की
विनोद सिल्ला
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...