Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 May 2023 · 1 min read

तुम कहो तो...

तुम कहो तो आज मधुमय, गीत गाऊॅं।
तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं ।।

कुंदनी काया सुचिक्कण, में विचर लूॅं।
प्रीति अभ्यंजन करे मैं, पीर हर लूॅं।।
तुम कहो तो मेघ बन, मैं बरस जाऊॅं।
तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं।।

दूरियाॅं दिल की बढ़ा तुम, रोज रोई।
व्यर्थ चिन्ता में अहर्निश, रही खोई।।
आज अनुमति दो तुम्हारा, परस पाऊॅं।
तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं।।

अब मान दो मनुहार को, इनकार तज।
आज अवलोका तुम्हें जब, रही थी सज।।
तुम कहो तो मैं सितारे, तोड़ लाऊॅं।
तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं।।

पास रहकर दूरियों में, रहा जीता।
वर्जनाओं का अमृत घट, रहा पीता।।
अब कहो तो बिना सोए, निशि बिताऊॅ।
तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं।।

आज आतुरता बढ़ी है, जोश जागा।
जा रहा है मिलन का सुख, अब न त्यागा।।
आज जी करता तुम्हारे, गुण गिनाऊॅं।
तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं।।

लो, खड़ा मैं हो गया हूॅं, अब सॅंभालो।
मत अधूरा गहो, पूरा- मुझे पा लो।।
बाॅंह गह लो सुमुखि यदि मैं, डगमगाऊॅं।
तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं।।

खाट जो अब तक खड़ी थी, अब गिराएं।
गीत चिर परिचित प्रणय के, गुनगुनाएं।।
तुम कहो तो आज अपना, उर बिछाऊॅं।
तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं।।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Loading...