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19 May 2023 · 1 min read

खायी जीवन में नहीं मात

छोटे मुॅंह से यह बड़ी बात
खायी जीवन में नहीं मात

अपमानित कैसे होता जब
चाहा न किसी से कभी मान
अपमान मान से ऊपर उठ
जीता आया अब तक अम्लान

होता है विरह दीर्घजीवी
क्षणभंगुर होती मुलाकात। छोटे मुॅंह से यह बड़ी बात

हो भले किसी ने ठगा मुझे
मैं नहीं किसी को ठग पाया
सुख या दुख में सम रह प्रभु का
गुणगान सदा मैंने गाया

परहित रत रहते साधुपुरुष
दुर्जन करते नित खुराफात। छोटे मुॅंह से यह बड़ी बात

अपने कट्टर वैरी को भी
लड़कर जीतना नहीं चाहा
उस पर अपनत्व लुटा मैंने
उसका अन्तस्तल अवगाहा

उसके प्राणों की रक्षा हित
है रक्त दिया अपना हठात् । छोटे मुॅंह से यह बड़ी बात

– महेश चन्द्र त्रिपाठी

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