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18 May 2023 · 2 min read

कोरोना चालीसा

◆ कोरोना चालीसा ◆

कोविद उन्नीस वायरस, चाइनीज शैतान।
इसे हराना है तुरत, करके मर्दित मान।।1।।

जिसके आगे पस्त हैं, बड़े-बड़े बलवान।
मैं उसकी निंदा करूँ, या फिर करूँ बखान।।2।।

नव विषाणु है यह कोरोना।
भयदायी है इसका होना।। 01 ।।

घोर आपदा बन आया है।
विश्व पटल पर यह छाया है।। 02 ।।

इसका अभी इलाज नहीं है।
कल होगा पर आज नहीं है।। 03 ।।

बहुत बड़ा है यह हरजाई।
बस बचाव ही उत्तम भाई।। 04 ।।

लापरवाह इसे हैं भाते।
खुद ढो कर घर इसको लाते।। 05 ।।

रक्त समूह अगर ‘ए’ भाई।
तनिक बड़ी अपनी कठिनाई।। 06 ।।

पर जिनका है ‘ओ’ से नाता।
उनसे यह थोड़ा शरमाता।। 07 ।।

जिसपर भी यह छा जाता है।
वह मुश्किल में आ जाता है।। 08 ।।

खूब छींक उसको तब आती।
तपिश देह की भी बढ़ जाती।। 09 ।।

खाँस-खाँस बेकल हो जाता।
बहुत विकट हर पल हो जाता।। 10।।

तब वह माई-दादा कहकर।
रोता है भावों में बहकर।। 11 ।।

सुधबुध सारा खो जाता है।
चीर नींद में सो जाता है।। 12 ।।

फिर कुनबे का रोना-धोना।
इतना निष्ठुर है कोरोना।। 13 ।।

इसको हमें हराना होगा।
बौद्धिक साथ निभाना होगा।। 14 ।।

पर तन से रखनी है दूरी।
इसको समझें बहुत जरूरी।। 15 ।।

इसका लक्षण जिसमें पाएँ।
उचित फासला तुरत बनाएँ।। 16 ।।

भीड़-भाड़ से बचकर रहिए।
मात्र शरण निज घर का गहिए।। 17 ।।

सार्वजनिक चीजों से दूरी।
यात्रा तब, जब हो मजबूरी।। 18 ।।

नहीं किसी से हाथ मिलाएँ।
मास्क लगा ही बाहर जाएँ।। 19 ।।

मच्छर नहीं इसे फैलाता।
संपर्कों से ही यह जाता।। 20 ।।

संक्रमण से बचें-बचाएँ।
चेहरे को न हाथ लगाएँ।। 21 ।।

जहाँ हाथ ज्यादा जाता है।
ठाँव वही इसको भाता है।। 22 ।।

अतः जरूरी करें सफाई।
उपकरणों के हत्थे भाई।। 23 ।।

कुछ भी पकड़ें, छुएँ, टोएँ।
बार-बार हाथों को धोएँ।। 24 ।।

हाफ मिनट तक साबुन-पानी।
या फिर सेनेटाइजर जानी।। 25 ।।

अगर छींक या खाँसी आती।
ड्रापलेट्स है बाहर लाती।। 26 ।।

उसमें आ जाता कोरोना।
बचना है इनफैक्शन हो ना।। 27 ।।

भाग सके न वह छितराकर।
खाँसें आप रुमाल लगाकर।। 28 ।।

अगर आप ऐसा न करते।
हस्त-पोर में उसको भरते।। 29 ।।

हाथ जहाँ फिर आप लगाते।
सबको ही दूषित कर जाते।। 30 ।।

इंफेक्टेड होता वह जत्था।
जो छूता हैंडिल या हत्था।। 31 ।।

अतः हाथ हमको धोना है।
पैनिक तनिक नहीं होना है।। 32 ।।

जीवन में जो डर जाता है।
मृत्यु पूर्व ही मर जाता है।। 33 ।।

जब तक बना महामारी है।
निश्चय ही संकट भारी है।। 34 ।।

विपदा का संकेत मिले जब।
सरकारी निर्देश मिले जब।। 35 ।।

हमको उसपर चलना होगा।
रहते वक्त संभलना होगा।। 36 ।।

जमकर सर्वसमाज जगा है।
जनता कर्फ्यू आज लगा है।। 37 ।।

सब मिल इसको सफल बनाएँ।
रह घर में कर्तव्य निभाएँ।। 38 ।।

तब हम इसको साध सकेंगे।
सीमाओं में बाँध सकेंगे।। 39 ।।

मुँह की खाएँगे परिहासी।
जय भारत! जय भारतवासी।। 40 ।।

इससे कि पहले हमें, दुष्ट करे बदहाल।
शासन के निर्देश का, अमल करें तत्काल।।3।।

अगर शिथिल हम हो गए, होगा इसका राज।
गिद्ध दृष्टि ले उड़ रहा, बन कर के यमराज।।4।।

© नन्दलाल सिंह ‘कांतिपति’
चलभाष– 9919730863

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