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18 May 2023 · 1 min read

कैसा अभागा हूँ मैं

कैसा अभागा हूँ मैं
जो वायदा कर के भी निभा नहीं सकता
खुशी मिलने पे भी जो मुस्का नहीं सकता

जिसे गाना ना आये , वो तो गायेगा क्या
में गायक होते हुए भी जो गा नहीं सकता

इस दुनिया में रहना नहीं चाहता
इसे छोड़ के भी जा नहीं सकता

लोग तो करते ही हैं कामना स्वर्ग मिलने की
मुझको मिल गया है , फिर भी उस को पा नहीं सकता

प्यासा ग़र जाये तो जाये पास कूएँ के
मगर जब कुआँ चल के पास मेरे आ गया है

रस्सी भी है , और है बाल्टी भी
मगर फिर भी पानी खींच के
अपनी प्यास बुझा नहीं सकता

कैसा अभागा हूँ मैं

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