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18 May 2023 · 1 min read

यूं कठिन राह कोई ना चुनता मगर,

यूं कठिन राह कोई ना चुनता मगर,
भाग्य रेखा को ऐसा बनाना पड़ा।
त्याग करके परम धाम बैकुंठ को,
रूप धरकर के धरती पे आना पड़ा।।

एक जनहित के व्रत को लिए हर घड़ी,
सूल के मार्ग पर यूं ही चलना पड़ा।
एक तरफ पूर्ण वैभव व यश था मगर,
राम को राम बनके ही रहना पड़ा।।
यूं कठिन राह……..

कि मोह जीवन में कोई ना रखते हुए,
दूसरों का ही जीवन बनाते रहे।
खुद का जीवन ही खुद से पृथक था मगर,
राम से पूर्व हे राम बनना पड़ा।।
यूं कठिन राह…….

अभिषेक सोनी
(एम०एससी०, बी०एड०)
ललितपर, उत्तर–प्रदेश

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