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17 May 2023 · 1 min read

शिव: एक विश्वास

शिव: एक विश्वास
// दिनेश एल० “जैहिंद”

तुझ पे भरोसा है तुझ पे आस है |
तू कहीं-न-कहीं सब की साँस है ||
तू ही पाताल है तू ही आकाश है |
तू कहीं-न-कहीं सबका प्रयास है ||

तू ही नीलकंठ है तू ही स्वरकंठ है |
तू ही प्रारंभ है तो तू ही प्रलयंत है ||
तू ही नेत्रदाता है तू ही रश्मिपुंज है |
तू ही स्वरदाता है तू ही शब्दपुंज है ||

हम नहीं साँस भर सकते लाश में |
जूही को बदल न सकते प्लाश में ||
रंग न सकते मातम को उल्लास में |
अँधेरे को ढाल न सकते प्रकाश में ||

साँस है तो बस आस है, विश्वास है |
तेरे बिन हर जगह हम तो हताश हैं ||
तू मेरा विश्वास है तेरी ही तलाश है |
तेरे बिन दिल मेरा ये अब उदास है ||

क्यों हम इतने जगत में असमर्थ हैं ?
क्यों दुनिया सब तेरे बिना अनर्थ है ?
क्यों नहीं हम कर्म से यहाँ समर्थ हैं ?
क्यों हमारे किये काम सारे व्यर्थ हैं ??

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दिनेश एल० “जैहिंद”
31. 05. 2019

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