Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 May 2023 · 1 min read

तितली

फूल लगाए मैंने भाई
उन पर तितली मंडराई।
रंग बिरंगे पुष्प देख कर
भोली तितली चकराई।।

लाल गुलाबी नीले पीले
धवल बैंगनी नारंगी।
मीठे रस से भरे खजाने
पीकर हो गई चंगी।

खुशबू से मदहोश हुई तो
कांटों से जा टकराई।
ओ हो हो हो पीड़ादायक
बचा मुझे हे माई!!

मिला वहीं पर काला भौंरा
मस्त बड़ा अलबेला।
गाता गुनगुन रस पी लेता
कहता जीवन मेला।।

महकी बगिया चहकी चिड़िया
सारा आलम सरसाया।
कुदरत ने दोनों हाथों से
रंग धरा पर बरसाया।।

विमला महरिया “मौज”

Loading...