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16 May 2023 · 1 min read

“मौत की अपनी पड़ी”

बच्चों की देकर दुहाई,
न जाने की कसमें खाई,
रो-रो कर हृदय व्यथा,
काल को हमनें सुनाई,
मानी नहीं बात,
मौत सामाने आकर खड़ी,

मौत की अपनी पड़ी।।1

करके सीने पर वार,
जीवन की ये मिथ्या हार,
नव यौवन की निर्बल पुकार,
जान पर विवश प्रहार,
कलेजे में हथियार,
तिल मिलाकर गड़ी,

मौत की अपनी पड़ी।।2

जिम्मेदारियां और बढ़ी,
जंग, मौत से छिड़ी,
जिन्दगी बेबस पड़ी,
हाथ की रेखा मिटी,
टूटे सपनों का शहर,
रास्ते में बाधा खड़ी,

मौत की अपनी पड़ी।3

मौत की विडंबना बड़ी,
ज़िद पर अपने अड़ी,
प्राण लेकर काल का,
तृप्तियां जैसे बढ़ी,
सुन!मौत की शहनाई,
हिम्मत भर हमनें लड़ी,

मौत की अपनी पड़ी।।4

मौत से हारा संवाद,
हृदय का विस्तृत विकार,
नयनों के ओझल सपने,
शत्- शत् बार करते शिकार,
अंधेरों के अविरल कम्पन,
तब धीरे से आह भरी,
विपत्ति की ये कैसी असहज घड़ी,

मौत की अपनी पड़ी।।5

राकेश चौरसिया

Language: Hindi
2 Likes · 324 Views
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