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15 May 2023 · 1 min read

इंकलाब की मशाल

जो सदियों से सोए हुए
बस उन्हें जगाने आया हूं
मूर्दों की इस बस्ती में
मैं आग लगाने आया हूं…
(१)
मज़हब के रखवालों ने
तुम्हारा बेड़ा ग़र्क़ किया
इनसे ज़रा सावधान रहना
यह तुम्हें बताने आया हूं…
(२)
जिस पर चलने में सबकी
तरक्की और खुशहाली हो
तालीम और अख़लाक की
वही राह दिखाने आया हूं…
(३)
भेड़ों की खाल में छुपे हुए
कितने खूंख़ार भेड़िए
अपने देश और समाज को
उन सबसे बचाने आया हूं…
(४)
जिसे लिखा था भगतसिंह ने
अपने दिल के ख़ून से
बगावत और इंक़लाब का
वही गीत सुनाने आया हूं…
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Shekhar Chandra Mitra
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