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29 Jun 2024 · 14 min read

व्यवस्था परिवर्तन

दिनांक– 25 मार्च 2024
नफे सिंह कादयान,
( सम्मानित साहित्यकार)
गां-गगनपुर, जि.-अम्बाला, डा.खा.-बराड़ा-
133201 (हरि.) मोब-9991809577

पृथ्वी नामक इस हरे-भरे अद्भुत सुंदर ग्रह पर मानव समूहों का नियंत्रण करने वाले समस्त शक्तिस्तभों, समाज सेवकों, बुद्धिजीवियों, मीडिया कर्मियों और आमजन को मेरा सत्-सत् प्रणाम।
दोस्तो इस सुंदर ग्रह को भ्रष्टाचार, आंतकवाद, हत्या, बलात्कार, चोरी-डकैतियों, गरीबी और युद्धों से मुक्त कर और भी सुंदर प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है। ये बिल्कुल आसान है, इसका मूलमंत्र है ‘शक्ति विभाजन, पारदर्शिता और जवाबदेही।’
दोस्तो आप की सेवा में सामाजिक, राजनीतिक समस्याओं और उनके संभावित समाधान पर लिखि 222 पेज की अपनी पुस्तक व्यवस्था परिवर्तन ऑनलाइन निशुल्क भेज रहा हूं। पुस्तक की दो सौ प्रिन्टिड प्रतियां आई एस बी एन-9789353005610 के साथ प्रकाशित हो चुकी हैं जो कि समीक्षकों, मंत्रालयों, मीडिया को भेजी जा रही हैं मगर मेरी सीमित आर्थिक स्थिती के चलते सभी को पुस्तक भेजना संभव नही है इसलिये इसे ऑनलाइन भेज रहा हूं।
दोस्तो शासक निरंतर अपने प्रशासनिक शक्ति समूहों के माध्यम से जनहित की भलाई के लिये प्रयासरत रहते हैं मगर फिर भी व्यवस्था में परिवर्तन की संभावनाएँ हमेशा बनी रहती हैं। भारत सहित विश्व के अन्य शक्ति समूहों की प्रशासनिक व्यवस्था के सामने कुछ बड़ी समस्याएँ हैं जिनमें भ्रष्टाचार, अव्यवस्था, असामाजिक तत्व एवम् युद्धजन्य अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष प्रमुख हैं। मेरा मानना है कि इन समस्याओं के कारण ही विश्व में भूख, गरीबी है, और इनके गर्भ से ही आंतकवाद, चोरी, डकैतियां, बलात्कार, हत्याओं जैसे संगीन जुर्म निकलते हैं।
समस्या है तो उसका समाधान भी है। यह पुस्तक लिखने का मेरा उद्देश्य ये है कि कोई ऐसी कारगर विधि होनी चाहिये जिससे पृथ्वी पर मानव समूहों में व्याप्त भ्रष्टाचार, आंतकवाद, हत्या, बलात्कार, गरीबी और अंतर्राष्ट्रीय युद्धों जैसी अनेक समस्याओं से निजात मिल सके। तेजी से बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित कर अनियंत्रित रूप से फैल रही मानव कालोनियों को बहुमंजिला इमारतों में बसाया जा सके, भोजन, पानी, वायु न्यूनतम श्रम से सभी को उपलब्ध हो, पेड़-पोधों फल-फूलों के साथ भयमुक्त खुले वातावरण में हमारी आने वाली पीढिय़ों का बसेरा हो, और हम सभी पृथ्वी वासी परिंदों की तरह पूरी पृथ्वी पर बिना किसी वीजा-पासपोर्ट के घूमने के लिये स्वतंत्र हों। बहुत ही सोच-विचार के बाद एक युक्ति मेरे दिमाग में आई है जिससे भ्रष्टाचार, आंतकवाद, हत्या, बलात्कार, चोरी-डकैती, गरीबी व अंर्तराष्ट्रीय युद्धों पर अंकुश लगाया जा सकता है। यह युक्ति है ‘शक्ति विभाजन, पारदर्शिता और जवाबदेही। ये तीन मंत्र ऐसे हैं अगर इनका उपयोग सही
1
तरीके से हो जाता है तो एक ऐसे नये मानव समाज की स्थापना हो जाएगी जिसमें हम सभी भयमुक्त वातावरण में जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
आजादी से अब तक अनेक राजनीतिक पार्टियों के शासन आए हैं। सभी ने अपने हिसाब से कुछ न कुछ सुधार किये हैं जिसकी वजह से हमारे देश भारत ने बहुत तरक्की की है। आम आदमी, गरीब, दलित, वंचितों के जीवन में भी व्यापक सुधार हुआ है मगर अभी भी अनेक क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। अभी (2018) वर्तमान शासन में राजनेताओं की छवि भ्रष्टाचार मुक्त बनी हुई है। कोई ऐसा मामला सुर्खियों में नही है मगर निचले स्तर पर भ्रष्टाचार अभी भी बना हुआ है। ग्राम पंचायतों से लेकर नगर निगमों, सरकारी विभागों, अनुदान प्राप्त संस्थाओं में निरंतर भ्रष्टाचार की खबरें अखबारों, टी.वी. चैनलों पर आती रहती हैं। मेरा मानना है कि देश की ग्राम पंचायतों, नगर पालिकाओं और अन्य सभी सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाली संस्थाओं में व्याप्त
भ्रष्टाचार से निजात दिलाने के लिए केवल एक ही अचूक मंत्र है। और वो है ‘शक्ति विभाजन, पारदर्शिता और जवाबदेही।’
मैं भारत सहित सभी देशों के नीति-निर्धारकों, शासकों से विनम्र निवेदन करता हूं कि भ्रष्टाचार, अव्यवस्था, आंतकवाद एवंम् युद्धजन्य अंर्तराष्ट्रीय संघर्षों के निदान के लिए मेरे निम्रलिखित 35 उपायों को कार्यान्वयन किया जाए-

1- भ्रष्टाचार निवारण के लिये इन्टरनेट का प्रयोग।
इन्टरननेट भ्रष्टाचार मिटाने के लिए वरदान साबित हो सकता है इसलिए सुरक्षा एजैंसियों के गोपनीय मामलों को छोड़कर बाकी सभी पंचायतों, नगर पालिकाओं, विधायको, राज्य सभा सदस्यों, मंत्रियों कों मिलने वाली ग्राटों, सरकार से अनुदान लेने वाली गैर सरकारी संस्थाओं, ट्रष्टों व अन्य सभी प्रकार के सरकारी संस्थानों के कार्यों, खर्चों का पूरा ब्योरा जिला स्तर पर सरकारी वेब साईटों पर डलवाने का प्रबंध किया जाए। गांव/शहरों में कहां क्या क्या बनवाया जा रहा है, कितने मजदूर, मिस्त्री व अन्य कामगार लगाए जा रहे हैं। उनके नाम पते, दी जाने वाली मजदूरी का विवरण, साईटों पर डाले जाएं। ईंट, बजरी, रेत, सीमेंट, सरिया कहां किस रेट पर लिया गया, इसका सही ब्योरा सरकारी वेब साईटों पर डाला जाए।
इसके अलावा गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ किस किस व्यक्ति को दिया गया है, किस को प्लाट दिया गया है किस को कालोनी, मकान मरम्मत शौचालय के पैसे दिए गए हैं। ऐसे सभी प्रकार के छोटे-बड़े विवरण सरकारी वेब साईटों पर डाले जाएं। अभी सरकार मनरेगा जैसे कुछ कार्यों का विवरण साईटों पर डालने लगी है मगर पूरी जानकारी नही डाल रही। कई जगह कार्य देखने के लिए साईट पर पासर्वड डालने होते हैं जिनके बारे आमजन को मालूम नही। मनरेगा मजदूरों के नाम लिखे गए हैं उनके पिता का नाम, मकान नम्बर नही है, कई व्यक्ति एक ही नाम के होने के कारण पता ही नही चलता कि किसने काम किया है, फर्जी है या सही है।
2- संस्थानों में भ्रष्टाचार निवारण के लिये शक्ति विभाजन, पारदर्शिता और जवाबदेही।
देश के सभी गांवों के हर वार्ड में सात या ग्यारह सदस्यों पर आधारित वार्ड कमेटियां बनाई जाएं। वर्तमान व्यवस्था में हर वार्ड में केवल एक ही पंच है। कमेटियां ही सर्वसम्मति या चुनाव द्वारा अपने लिए सरपंच चुनाव करें जैसा की ब्लॉक समिति सदस्य, नगर पालिका और सासंद अपने लिए प्रधान चुनते हैं। शहरों की नगर पालिकाओं का भी इसी प्रकार से विस्तार किया जाये। वार्ड में सदस्यों की संख्या एक से बढ़ाकर सात की जाए।
3- बैठकें।
पंचायती संस्थानों में सभी सदस्यों को मिला कर बनने वाली ग्राम/शहरी सभा की हर महीने अनिवार्य बैठक करवाई जाए। वर्तमान में किसी भी गांव/शहर में ग्राम सभा की बैठक नही होती, केवल कागजी खानापूर्ती कर दी जाती है। इसी प्रकार शहरी नगर पालिकाओं व अन्य सरकारी अनुदान प्राप्त संस्थाओं की भी अनिवार्य मासिक बैठक होनी चहिये।
4- विकास कार्य।
ग्राम सरपंच, नगर पालिका प्रधान सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं के प्रधान हर प्रकार के विकास व अन्य कार्य अपने वार्ड सदस्यों की सलाह लेकर बहुमत के आधार पर करें। सभी कार्यों की रूपरेखा मासिक बैठक में विचार विमर्श द्वारा तय की जाए।
5-विकास कार्यों के ब्योरे।
पंचायत व अन्य संस्थाओं की आय, सभी कार्यों पर हुए खर्चों के पूरे ब्योरे मासिक बैठक में सरपंच, पंचायत सचिव, संस्थाओं के अन्य प्रधानों द्वारा सभी सदस्यों को पढ़ कर सुनाए जाएं। ब्योरे की एक एक फोटो कॉपी आमजन के लिए वार्ड सदस्यों को भी दी जाए। वार्ड सदस्यों के माध्यम से सभी लोगों को पंचायत व अन्य संस्थाओं की गतिविधियॉं देखने का अधिकार दिया जाए।
6-उप-चुनाव।
पंचायत और अन्य संस्थाओं के सदस्यों को सरपंच, अपने प्रधानों के कार्यों से संतुष्ट न होने पर उन्हे कभी भी दो तिहाई बहुमत से हटा कर उसके स्थान पर नये सरपंच, नगराधीश और अन्य प्रधानों को चुनने का अधिकार दिया जाए। वार्ड की जनता को भी बहुमत से अपने पंचायत सदस्यों को बदलने का अधिकार दिया जाए।
7-मासिक वेतन।
पंच, सरपंचों, नगर पालिका सदस्यों और अन्य संस्थागत प्रधानों को मानदेय की बजाए सांसद, विधान सभा सदस्यों की तरह उचित मासिक वेतन दिया जाए। वर्तमान में सरपंचों को बहुत ही कम मानदेय मिलता है जबकि उसे गांव में आने वाले सरकारी कर्मचारियों के रोटी, चाय का प्रबंध तक करना पड़ता है।
8-संसद मंत्रालय कमेटियां।
देश के सभी मंत्रालयों को सांसद और विधान सभा सदस्यों द्वारा बहुमत के आधार पर चलाया जाना चाहिये। किसी एक मंत्रालय को सात सदस्यों पर आधारित कमेटी द्वारा चलाया जाए। जनहित के सभी निर्णय बहुमत के आधार पर लिए जाएं। वर्तमान में किसी एक मंत्रालय या कई मंत्रालयों को एक ही मंत्री चलाता है। इसका मतलब तो ये है कि जनता के चुने हुए अन्य प्रतिनिधि बुद्धिहीन हैं।
9- जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल।
पंचायती संस्थानों, विधान सभा, लोक सभा और अन्य सभी संस्थागत जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल पांच साल के लिये अस्थाई रूप में होना चाहिये। अगर वोट देकर सांसद व विधान सभा सदस्य बनाने वाली जनता को उनका कार्य पसंद नही आता तो वोट द्वारा ही कभी भी हटाने का अधिकार दिया जाए।
10- जन-शासन।
देश में लोकतंत्र की बजाए जन-शासन को प्राथमिकता दी जाए। जनहित के सभी मामले लागू करने से पहले जनता की वोटिंग द्वारा राय लेकर ही इन्हे कार्यान्वयन किया जाएं। वर्तमान इंटरनेट युग में ऑनलाईन वोटिंग भी करवाई जा सकती है। इसके लिए गांव/शहरों की वार्ड कमेटियां अहम भूमिका निभा सकती हैं।
11-सम्पतियों की जांच।
सरकारी कर्मचारियों, लोक सभा, विधान सभा सदस्यों, अनुदान प्राप्त संस्थाओं, ट्रष्टों के मालिकों की सम्पतियों की कम से कम पांच साल में एक बार अनिवार्य जांच की जाए। सभी अघोषित सम्पतियों को जब्त किया जाए और आय से अधिक सम्पति जमा करने वालों पर भष्टाचार का मुकदमा चला सजा दिलाई जाये।
12-कानून में संशोधन।
कानून में संशोधन कर भ्रष्टाचार में दोषी व्यक्ति को चोरी के अपराधियों के समकक्ष सजा दी जाए और किसी भी संस्थान में मिली भगत से चलने वाली रिश्वतखोरी को संगठित अपराधों की श्रेणी में रख कर चोर डकैतों की तरह मुकदमें चला कर सजा दी जाए।
13-भ्रष्टाचारियों की सूचना पर ईनाम।
भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्तियों के बारे में सूचना देने वाले लोगों के लिए पूरे देश में न्यूनतम पचास हजार रूपये ईनाम राशि की घोषणा की जाए और उसका नाम, पता गुप्त रखा जाए।
14- कर्मचारियों का सम्मान।
ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ सरकारी कर्मचारियों और अन्य संस्थागत प्रधानों, सदस्यों को देश के राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मानित किया जाए। उनके परिवारों को उनकी नियुक्ति स्थान के आसपास रखने का प्रबंध किया जाए या परिवार साथ रखने की ईजाजत दी जाए। ऐसा प्रबंध भी किया जाए जिसमें बड़े ऑफिसर व नेता अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से अपने घरेलू कार्य न करा सकें।
15- श्रमिकों के उत्थान के लिये।
असंगठित क्षेत्र के जो लोग कल कारखानों या अन्य किसी भी प्रकार के संस्थानों मे कार्यरत हैं। सभी का श्रम विभाग या समाज कल्याण के स्थानीय कार्यालय मे पंजीकरण करवाया जाए। सभी कामगारों के स्थानीय बैंकों में जीरो बैंलस पर बैंक खाते खुलवाए जाएं। जिनका पूरा ब्योरा श्रम विभाग की साईट पर डाल जाए। सभी संस्थानो के मालिकों से वर्करों का मासिक वेतन उनके बैंक खाते मे जमा करवाया जाए। इस प्रकार सरकार के साथ पूरे देश को साईट पर पता रहेगा की कौन किस को क्या वेतन दे रहा है। जो भी संस्थान मालिक सरकार द्वारा बनाए श्रम कानूनों का उल्लघन करे उसके लिए सख्त कारावास व दंड का प्रावधान होना चाहिये। वर्तमान में बहुत से संस्थान, मालिक अपने कर्मचारियों को दो-तीन हजार रूपये से भी कम वेतन दे उनसे बारह से चौदह घण्टे तक कार्य करवाते हैं।
16-सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता।
सभी सरकारी महकमों में होने वाली नई भर्तियों का पूरा डाटा, नाम, पता, योग्यता का पूर्ण विवरण सरकारी वेब साइटों पर डाला जाए। ग्राम/शहर के वार्ड से लेकर जिला स्तर तक शिक्षित बेरोजगार लोगों की योग्यता के आधार पर सूचियां बनाई जाएं। सभी भर्तियों में योग्यता क्रमांक के हिसाब से नौकरियां दी जाएं।
17-कागजात के मकडज़ाल से छुटकारा।
सरकारी कामों में लोगों को अनावश्यक कागजात के मकडज़ाल से बचाया जाए। लोगों की लाईने लगवाने के बजाए सभी काम क्रमानुसार डाक द्वारा निपटाए जाएं। राशन कार्ड, आधार कार्ड, नागरिकता प्रमाण पत्र और सभी प्रकार के पहचान पत्रों का एक ही कागज पर डाटा बनाया जाए। लोगों के जाति, आय, निवास, जन्म, मरण प्रमाण पत्र बनाने का कार्य गांवों/ शहरों के वार्ड पंचों, नगर पालिका सदस्यों को सोंपा जाए।
18-शिकायत पर कार्यवाई।
उपभोक्ता द्वारा शिकायत करने पर ही किसी दूकानदार, रेहड़ी फड़ी वाले, दूधियों व अन्य छोटे व्यवसाइयों के विरूद्ध कार्यवाई की जाए। आजादी से अब तक नकली, मिलावटी खाद्य पदार्थों की आड़ में छोटे गरीब लोगों को भ्रष्ट कर्मचारियों द्वारा लूटा जा रहा है। छोटे व्यवसाय करने वाले गरीब लोगों के धंधों पर रोक लगाने के बजाए उन पर उचित टैक्स लगाया जाए।
19- गरीबों को आरक्षण का लाभ।
जाति, धर्म पर आधारित सभी आरक्षण बंद कर इन्हे किसी भी परिवार की आर्थिक स्थिति के आधार पर लागू किया जाए। किसी एक परिवार की आर्थिक स्थिति का आंकलन कर वार्ड स्तरीय सूचियां बनाई जाएं। सरकारी काम-काज में किसी की जाति धर्म का उल्लेख न किया जाए।
20-मौलिक अधिकरों का दायरा बड़ाया जाए।
सभी प्रकार के रीति-रिवाज, जाति, धर्म, पहनने ओढऩे, अपने ईष्ट देवों की पूजा करने, सैक्स करने, जीवन जीने, अपनी ईच्छा से देह त्यागने के मामलें में लोगों को पूरी तरह से स्वतंत्रता दी जाए। ये आमजन के निजी मामले होने चाहियें। दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा मिलकर किये गए ऐसे सभी कार्य जायज होने चाहिये जिनसे किसी का अहित न हो।
21-विविधता पूर्ण खेती।
देश की कुल जनसंख्या की खाद्य जरूरतों का आकलन कर किसानों से विविधता पूर्ण खेती करवाई जाए। एक दूसरे के साथ लगती जमीन वाले दो-तीन एकड़ भूमि वाले किसानों की कमेंटियां बना कर सामूहिक खेती करवाई जाए। उन्हे खेती के उपकरण दिये जाएं।
22-उपजाऊ भूमि की गणना।
देश में कुल कितनी उपजाऊ भूमि है। कितनी हर वर्ष अधिगृहित कर ली जाती है। जंगल, पेड़, गाय, भैसों जैसे दुधारू पशुओं की गणना कर ऐसे सभी आंकड़े सरकारी वेब साईटों पर डाले जाएं।
23-धारा रेखीये सड़के।
मैदानी ईलाकों में सीधी धारा-रेखीये सड़के बनाई जाएं। देश के मध्य बिंदु को आधार बना कर लम्बे रोड़ बनाए जाएं जिनके आस पास बहुमंजिली इमारतें बना कर उनमें अव्यवस्थित तरीके से फैलती जा रही मानव कालोनियों को बसाया जाए।
24-उपजाऊ भूमि का व्यवसायीकरण बन्द किया जाए।
देश में समकानून बना कर लाभ के लिए उपजाऊ भूमि का व्यवसायीकरण बन्द किया जाए। भूमि केवल कृषि व आवासीय आवश्यकताओं के लिए दी जाए। देश में अव्यवस्थित रूप से फैल रही मानव कालोनियों को बहुमंजिली इमारतों में बसा कर उपजाऊ भूमि को बचाया जाए।
25-जर्जर ईमारतें हटाना।
देश में वर्षों से खाली पड़े सरकारी, गैर सरकारी रकबे पर या तो खेती करवाई जाए या पेड़-पौधे लगवाए जाएं। इतिहासिक इमारतों को छोड़कर बाकी थाना, तहसीलों, अदालतों व अन्य सरकारी, गैर सरकारी पुरानी जर्जर ईमारतों के मलबे को हटा कर उनके स्थान पर पेड़-पोधे लगाए जाएं।
26-देशी फसलों का संरक्षण।
देश में लुप्त होते जा रहे बबुल, शीसम, बरगद, सींबल, जांडी, सीरस जैसे अनेक प्रकार के वृक्षों को लगा कर लुप्त होने से बचाया जाए। साथ ही देशी टमाटर, घीया, बैंगन जैसी देशी सब्जियों को भी बचाया जाए।
27-झुग्गी झोपडिय़ों में रहने वालों के लिये।
पृथ्वी पर जो पैदा हुआ है उसे प्राकृतिक रूप से आवास बनाने व कार्य कर अपने बच्चों का पेट भरने का पूरा हक है। ईश्वर किसी के नाम जमीनों की रजिष्ट्री नही करता इसलिए झुग्गी झोपडिय़ों में रहने वालों, सड़को के किनारों व फुटपाथों पर रेहड़ी खोखे लगाने वालों को हटाने के बजाए उन पर उचित मासिक या वार्षिक शुल्क लगाया जाए। अगर किसी रूकावट के कारण हटाना जरूरी हुआ तो उन्हे हटाने से पहले नई जगह दी जाए।
28-सुरक्षा समूहों का गठन।
आंतकवादियों, चोरों डकैतों, दंगा फसादियों, बलात्कारियों से निपटने केलिए सभी गांव/शहरों मे वार्ड सुरक्षा समूह बनाए जाएं। इनमे युवक, युवतियों को आत्म रक्षा के लिए हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाए। किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले उसके चाल-चलन के बारे में उसके निवास स्थान के अंतर्गत आने वाले वार्ड सदस्यों व आसपास के गणमान्य लोगों की राय ली जाए।
29- विटो पावर का खात्मा।
संयुक्तराष्ट्र संघ का व्यवस्थित रूप से पुर्नगठन किया जाए। इसमें विटो पावर, स्थाई, अस्थाई के लिए कोई स्थान नही होना चाहिये। हर एक देश को एक इकाई मान कर इसमें सभी देशों की सामूहिक शक्ति का प्रतिनिधित्व किया जाए। अर्थात अमीर गरीब सभी देशों को बराबरी का दर्जा दिया जाए।
30- अंर्तराष्ट्रीय समस्याओं का निपटारा।
सभी देशों की परस्पर होने वाली अंर्तराष्ट्रीय समस्याओं का निपटारा संयुक्तराष्ट्र के माध्यम से सर्वसम्मति या वोटिंग द्वारा बहुमत के आधार पर किया जाए। इसमे किसी एक देश को केवल एक वोट देने का अधिकार हो फिर चाहे वो बड़ा देश हो या छोटा। सभी के वोट की बराबर कीमत होनी चाहियेे।
31-सीमाओं का निर्धारण।
विश्व के कर्णधारों द्वारा सभी देशों की सीमाओं का निर्धारण भी एक ही बार में जनमत से कर लिया जाए। अधिकतर युद्धात्मक संघर्षजन्य स्थितियां सीमाओं के कारण ही हो रही हैं, अत: इसका निपटारा पक्के तौर पर एक ही बार में हो जाना चाहिये, तभी मानव समूहों में स्थाई शांति आ सकती है।
32-विश्व सेना का गठन।
एक ऐसी विश्व सेना का गठन किया जाए जिसमे सभी देशो के सैनिक सम्मलित हों। इस पर सामूहिक विश्व संगठन का नियंत्रण होना चाहिये। इसमे कोई एक देश अपने क्षेत्रफल के हिसाब से सैनिक भेजे। इससे आंतकवाद का खात्मा हो जाएगा। युद्धों का अंत हो जाएगा। देशों मे भाईचारा बढ़ेगा और पूरी दुनिया एक परिवार मे बदल जायेगी।
33- वैज्ञानिक अनुसंधान।
विश्व के सभी वैज्ञानिकों को अलग-अलग देशों में अनुसंधान न कर एक ही जगह पर कुल मानवता की भलाई के लिए कार्य करना चाहिये। इसमे सभी देशों के सबसे योग्य वैज्ञानिक शामिल हों।
34-ध्यान, योग, आत्म रक्षा के लिए ट्रेनिंग।
लोगों को बचपन से ही ध्यान, योग, आत्म रक्षा के लिए ट्रेनिंग व कम से कम संसाधनों के इस्तेमाल से जीवन जीने की शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिये। किसी एक व्यक्ति को बेहतर जीवन जीने के लिए कितने संसाधनों की आवश्यकता होती है इसका निर्धारण किया जाए। अनावश्यक संसाधनों पर रोक लगाई जाए। इससे एक नये प्रकार के अहिंसक परम मानव की श्रृंखला का निर्माण होगा। आंतकवाद व असामाजिक तत्व नही पनप सकेंगे। पशुवृति का अंत हो जाएगा। अत्याधिक संसाधन एकत्र करने की हवस का भी अंत होगा जिसके कारण व्यक्ति लोभ में फंसा है।
35- पृथ्वी भ्रमण की आजादी।
व्यक्ति गांव, शहर, प्रदेश, देशों में नहीं रहता बल्कि पृथ्वी पर रहता है। ये सब आभासी वर्गीकरण है। पृथ्वी पर पैदा होने वाले सभी पृथ्वी वासी हैं इसलिये सभी को उसके धरातल के किसी भी भू-भाग पर बिना किसी विजा पासपोर्ट के जाने पर कोई रोक न लगाई जाये।
यह पुस्तक पृथ्वी पर स्थाई शांति, समाज कल्याण की पवित्र भावना को लेकर व कामगार, श्रमिकों, दबे कुचले शोषित, वंचित समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए लिखी गई है। इसमें आम आदमी, श्रमिकों, व्यवसाईयों के साथ किन क्षेत्रों में अन्याय हो रहा है विस्तार बतलाया गया है। साथ ही उसका क्या संभावित समाधान हो सकता है इस पर भी गहनता से विचार किया गया है, मानव को व्यवस्थित तरीके से बसाने के लिए सड़क, भवन, कृषि, माल ढुलाई, पशु पालन व अन्य किन-किन क्षेत्रों मे सुधार की संभावनाएं हैं, इस पर भी विस्तार से लिखा गया है।
इस पुस्तक में मैने भ्रष्टाचार मुक्त एक ऐसे शासन की रूपरेखा तैयार की की है जिसमें लोग अमीर, गरीब न हो कर सभी बराबर हों। किसी के सर पर कर्ज का बोझ न हो। झूठे मामलों मे कोई बेगुनाह जेल में न जाए। जाति धर्म का कोई झगड़ा न हो। दंगे फसाद न हों, स्त्रियों से बलात्कार न हों। प्रशासनिक कर्मचारियों द्वारा किसी से भ्रष्ट तरीके से पैसा न लिया जाए। ईमानदार कर्मचारियों को उनके ऑफिसर, नेता परेशान न करें। रेहड़ी फड़ी वाले, मजदूर, नाई, धोबी, बुनकर मिस्त्री, कारीगर, चाय मिठाई बेचने वाले, दूधिये, परचून, ढाबों वाले, ट्रक टैक्सी ड्राईवर जैसे गरीब कामगारों से वैध, अवैध वसूली न की जाए। सभी पृथ्वी वासी एक परिवार की तरह मिल कर रहें। सामुहिक नरसंहार के हथियार बनाने की आवश्यकता न हो। अंतर्राष्ट्रीय युद्वों का अंत हो जाये।
मेरा ऐसा मानाना है जनहित, देश हित और पृथ्वी हित के बारे में सोचने वाले, प्रशासनिक व्यवस्था में सूधार चाहने वाले लेखक, बुद्धिजीवी, समाज सेवी, नेता, वैज्ञानिक, इंजीनियर व हर आमों खास व्यक्तियों के दिमाग में कोई न कोई योजना, अच्छा विचार अवश्य होता है जिसे वह कार्यान्वयन कराने की आशा रखता है। ये जरूरी नही कि वो सौ प्रतिशत सही ही हो। किसी एक व्यक्ति के विचार से दूसरा असहमत भी हो सकता है। पुस्तक मैं लिख रहा हूं इसलिए इसमें लिखी जाने वाली सारी अवधारणाएं, सारी सोचें मेरे निजी विचार हैं। जरूरी नही यह सभी की कसौटी पर खरे उतरते हों। मैं भारत के कई गांव/शहरों में बचपन से ही कृषि कार्य, कल कारखानों, रेहड़ी फड़ी, ट्रक टैक्सी ड्राईवरों के बीच रहा हूं। मेरे जीवन यापन के कार्य भी ये ही रहे हैं इसलिये मैने समाज के इन वंचित वर्गों में अपने आसपास भूख, गरीबी, दमन, शोषण की बहुत ही ह्रदय विदारक घटनाएं देखी हैं।
इस पुस्तक में बहुत सी समस्याएं ऐसी हैं जिनके मध्य से होकर मैं गुजरा हूं। हमारे अपने दबे कुचले वंचित, दलित वर्गों की बहुत सी समस्याएं हैं जिनमें से अधिकतर प्रशासनिक व्यवस्था में सूधार न होने की वजह से निरंतर बनी हुई हैं। मेरे द्वारा लिखा जाने वाला अधिकतर लेखन इन्ही समस्याओं के निदान के बारे में रहता है। आशा है आपको मेरी यह पुस्तक पसंद आएगी।
धन्यवाद।
N. S. Kadhia

Language: Hindi
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