Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
8 May 2023 · 1 min read

तुम , मै और प्रेम

जैसे तुम किसी बिस्तर पर कूद पड़ी हो!
कूद पड़ी हो जैसे खुशी से किसी समुंदर में,
एहसास का गोता लगाते मैं किसी गोतेखोर जैसा
तुम्हें बिस्तर की तलहटी में खोज रहा हूँ

कहाँ तुम किसी को मिलती हो,
मोतियों की सीप की तरह,
उधर मैं घाट पर बैठ तेरा इंतजार करता रहा
किसी मच्छुआरे ने तुम्हें अपने जाल में कैद कर
नए जीवन के झूठे ख्वाब में तुम्हें बंद कर दिया!

कहाँ तुमसे रूठने का दिल करता हैं,
कहाँ मैं तुम्हें छोड़कर जाना चाहता हूँ,
यही कमाई तो है मेरी अब तक की जिंदगी में
जहां तुम मेरे साथ हो, मेरे पास हो रूह

मेरी जिंदगी में तुम्हें खोजकर लाना
किसी कोयले की खदान में हीरा ढ़ूढ़ने जैसा ही तो है
कई सालों से तुम मेरे सामने थी,
कहाँ मैं तुमसे कह पाया की मेरी रूह हो

कह दो की तुम नहीं बनी हो मेरे लिए
हाँ कोई बुरा सपना देख रहा हूँ, जिसे मैं जीना चाहता हूँ
चाहता हूँ आखिरी श्वास भी मैं तुम्हारी गोद में लूँ
कह तो न की मैं नहीं बना हूँ तुम्हारे प्रेम के लिए

Loading...