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1 May 2023 · 1 min read

अंतराष्टीय मजदूर दिवस

मना रहे है हर वर्ष मजदूर दिवस,
फिर भी मजदूर आज भी विवश।
बदल नही पाए उसकी विवशता,
चाहे मना लो तुम कितने दिवस।।

जो बनाता है मकान दुसरो के लिए,
नही बना सका मकान खुद के लिए।
वह मर रहा है आज भी देश के लिए,
बताओ कौन मर रहा है उसके लिए।।

कितने ही दशक आज बीत चुके है,
उसका जीवन न हम बदल चुके है।
रहा मजबूर मजदूर वैसा जैसा ही,
बताओ कितने प्रयत्न कर चुके है।।

पूछ रहा हूं प्रश्न सत्ता की सरकारों से,
क्यो मौन बनी हुई झूठी सरकारों से।
क्यो नही हित करते बेचारे मजदूरों का
शायद कोई उम्मीद नहीं सरकारों से।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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