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23 Apr 2023 · 1 min read

रुक जाओ

इस बार खामोशियों से बेहतर है
की कुछ बोल दिया जाये ,
मेरी आँखों को पढ़ने से बेहतर है की
मेरे लफ़्ज़ों का जवाब दे दिया जाये ,
तुम पलटो इससे पहले
मुझे रोक लेने का ऐख़्तियार दे दिया जाये |

द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’

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