कोई नहीं करता है अब बुराई मेरी

बुलंदियों को छूने का ख्वाब,
देखता था मैं जीवन में हमेशा,
बरसों से था मेरा यह जुनून,
दौड़ रहा था इसके लिए मेरा खून,
और आज मेरी इस कामयाबी को,
बदल गया है पूरी तरह नजारा
मिल रहा है मुझको बहुत सुकून।
तकाजा देते थे मुझको सभी,
नाहक समझते थे मुझको सभी,
उड़ाते थे बहुत मजाक मेरी,
पढ़कर मेरी तारीफ अब सभी,
करते हैं अब मेरा सम्मान सभी,
करते हैं अब सभी तारीफ मेरी,
मिली है खुशी अब मुझको भी।
छुड़ा लिया था सभी ने हाथ,
नहीं दिया था किसी ने साथ,
रास्ते बदल लेते थे सभी,
मेरी गरीबी को देखकर,
अब जब मिली है मुझको दौलत,
दौड़कर आ गए सभी मेरे पास,
सब मिलाने लगे हैं मुझसे हाथ।
रूठी थी किस्मत भी जब कल,
रूठा था हर कोई भी मुझसे,
नाकाम होते मुझको देखकर,
बदल लिये थे सभी ने फैसले,
आज जब मुझको मिल गई मंजिल,
सभी खड़े हैं अब मेरे स्वागत में,
अब झुकाते हैं सभी मुझको सिर,
शिकायत किसी को नहीं है मुझसे,
कोई नहीं करता है अब बुराई मेरी।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)