Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
16 Apr 2023 · 1 min read

साधारण मानव के रूप में राम,,

साधारण मानव के रूप में राम,,

धरती पर अवतरित हो,मनुज समान किया काम।
आदिब्रम्ह निर्गुण अविनाशी ,धन्य धन्य हो राम।।
आदिशक्ति संग साथ रही,पर न किया अभिमान।
कर लीला‌ सामान्य मानव का,बन बन रोये राम।।

निकल पड़े जब जंगल को,निर्धन लिए सहाय।
अहंकारी, अभिमानी का ,नाश किया घर जाय।।
शोषित ,उपेक्षित दलित जनों का ,साथ लिया श्री राम।
कर लीला समान्य मानव का,बन बन रोये राम।।

आते ही अवधपुरी ,दिखाये अद्भभुत रूप।
मिटा दिये अंधकार,निकल पड़ा था धुप।।
सुर्य कुल म प्रगट हो ,सुर्य वंशी कहलाये राम।
बाल चरित ,कर सुन्दर,नटखट कहलाये राम।।

पावन किये ,स्वीकार किये,भारत‌ भुमि का धुल।
आते ही बांध दिये, क्षितिज धरा पर पुल।।
तोड़ दिये बंधन,अंतर राजा और प्रजा की।
तोड़ दिया अंतर गांव शहर और जंगल की।।

भेद मिटाकर दिखा दिया,छुआ छुत कुपोषित का।
साथ लिया और साथ दिया, दलित पिछड़े शोषित का।।
जुठन बेर भिलनी का खाये,केंवट से धोवाये पांव।
राज महल का त्याग किये,रहे पंचवटी के छांव।।

दुश्मन भी अंत नाम पुकारे,बोले जय जय श्रीराम।
आदि ब्रम्ह निर्गुण अविनाशी,धन्य धन्य हो‌ राम।।
विजय हृदय में वास करो,सहाय करो हनुमान।
अंतर्मन से जाप करूं, बोलूं जय जय श्रीराम।।

डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी वि खं आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़

Loading...